उपग्रह ट्रांसमीटरों की सहायता से गिद्धों पर रखी जाएगी कड़ी निगरानी

नई दिल्ली ,22 फरवरी। केन्‍द्रीय श्रम, रोजगार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र, पिंजौर का दौरा किया। उन्‍होंने कहा कि प्रजनन के बाद गिद्धों को जंगल में छोड़ा जा सकता है। उन्होंने ‘जटायु गिद्ध प्रजनन केंद्र’ के विकास के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता उपलब्‍ध कराने का भी आश्वासन दिया।

वर्ष 2023-24 के दौरान जंगल में ओरिएंटल सफेद पीठ वाले गिद्धों को छोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। छोड़े गए गिद्धों की कम से कम एक वर्ष तक उपग्रह ट्रांसमीटरों की सहायता से कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे जंगली परिस्थितियों में अच्छी तरह से समायोजित हो जाएं और डाइक्लोफेनाक विषाक्तता के कारण कोई मृत्यु दर न हो, उनकी किसी भी व्यवहार संबंधी समस्या का पता लगाया जाएगा।

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इसके बाद गिद्धों को हर साल नियमित रूप से जंगल में छोड़ा जाएगा। जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केन्‍द्र (जेसीबीसी) की स्थापना गिद्धों की तीन भारतीय गिप्स प्रजातियों- ओरिएंटल व्हाइट-बैक्ड, लॉन्ग-बिल्ड और स्लेंडर-बिल्ड गिद्धों की आबादी में नाटकीय रूप से आई गिरावट की जांच के लिए की गई थी। यह हरियाणा वन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के बीच एक सहयोगी पहल है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य 15 वर्षों में गिद्धों की 3 प्रजातियों में से प्रत्येक के 25 जोड़ों की एक संस्थापक आबादी स्थापित करना और कम से कम 200 पक्षियों की आबादी का उत्पादन करना और उनका वन्‍य जीवन में पुन: प्रवेश कराना है।