बैकुण्ठपुर,21 फरवरी । जहां चाह वहां राह की कहावत को जमीनी स्तर पर सच करने वाले मनरेगा श्रमिक रमेश कुमार अब स्वरोजगार में आगे बढ़ते हुए आर्थिक स्वावलंबन की राह पर हैं। कोरिया जिले के वनांचल जनपद पंचायत सोनहत के ग्राम बोड़ार में रहने वाले रमेश कुमार कुल बारहवीं तक पढ़े लिखे हैं। लगभग 40 वर्ष के रमेश कुमार के परिवार में उनकी पत्नी गुलाब कुमारी और पुत्र सचिन्द्र कुमार अभी कक्षा ग्यारहवीं में अध्ययनरत हैं। पहले केवल बारिष पर आधारित खेती करने वाले ढाई एकड़ भूमि के स्वामी रमेश कुमार के पास महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में अकुषल श्रम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
ऐसे में उन्हे मनरेगा के तहत भूमि सुधार का लाभ मिला जिससे खेतों की सही बनावट हुई और महात्मा गांधी नरेगा से ही उन्हे भूमि पर जलसंचय के लिए डबरी निर्माण स्वीकृत हुआ। पानी की व्यवस्था बन जाने के बाद रमेश कुमार ने सौर सुजला योजना के तहत अपने डबरी में पंप स्थापित कराया। सिंचाई की सुविधा होने के बाद वह अपना पूरा ध्यान बाड़ी विकास कर मौसमी सब्जी उत्पादन में लगाने लगे। साथ ही उन्हे महात्मा गांधी राष्ट्रिय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में लगातार अकुषल श्रम करने के कारण प्रोजेक्ट उन्नति के तहत चयनित किया गया और उनकी इच्छा के अनुरूप जनपद पंचायत स्तर पर बकरी पालन का निषुल्क प्रषिक्षण प्रदान कर उनकी स्वरोजगार क्षमता का विकास किया गया।
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प्रोजेक्ट उन्नति से बकरी पालन का प्रषिक्षण प्राप्त करने के बाद से ही रमेश कुमार के पारिवारिक आय में वृद्धि का एक अच्छा लाभप्रद स्वरोजगार बकरी पालन व्यवसाय बन गया। वह बताते हैं कि पहले आर्थिक समस्या हुआ करती थी परंतु शासन की योजनाओं का लाभ मिलने के साथ ही प्रशिक्षण मिल जाने के बाद उनकी पारिवारिक स्थिति अच्छी होने लगी। सब्जी उत्पादन से जहां उनके परिवार को प्रतिमाह लगभग 8 से 10 हजार की नियमित आय होने लगी वहीं बकरी पालन को अतिरिक्त व्यवसाय के रूप में अपनाने से वह अपने लिए औसतन प्रतिमाह 10 हजार रुपए और कमाने लगे।
उनकी पत्नी गुलाब कुमारी ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान में सदस्य हैं और अब तक वह अपने पालतू पशुओं का लगभग 100 क्विंटल गोबर गोधन न्याय योजना के तहत बेचकर अच्छा लाभ कमा चुके हैं। वर्तमान में उनके पास 10 नग गाय हैं जिससे दुग्ध उत्पादन भी हो रहा है साथ ही तीन जोड़े बैल भी हैं। बकरी पालन को व्यवसाय के तौर पर कर रहे रमेश कुमार के पास अभी 30 नग बकरे बकरियों का धन है। इससे उन्हे अच्छी आय प्राप्त हो रही है। रमेश कुमार के बाड़ी में पत्ता गोभी, मटर, टमाटर आदि की बढ़िया फसल लगी हुई है। वह स्वयं कहते हैं कि अब बकरी पालन में मेहनत का अच्छा दाम मिलने लगा है और परिवार की आर्थिक उन्नति की राह सुगम हो गई है।
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