अक्सर हम सभी के घरों में पूरी-पकौड़े बनाने के बाद कड़ाही में कुछ तेल शेष बच जाता है। यह तेल बर्बाद न हो जाए, इसलिए अक्सर इसका दोबारा से इस्तेमाल कर लिया जाता हैं, पर क्या आप जानते हैं कि बचे हुए तेल का दोबारा से प्रयोग करना सेहत पर कैसा असर डाल सकता है? तेल के अपव्यय को रोकने का यह तरीका क्या सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है?
होटलों एवं फुटपाथ पर लगने वाले ठेलों में एक ही तेल को बार-बार उबालकर उसका उपयोग कचोरी, समोसे, पकोड़े, सेंव एवं पानीपुरी आदि बनाने में किया जाता है। थोड़े से फायदे के लिए दुकानदार जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कई दुकानों पर एक ही तेल को पूरा खत्म होने तक कई बार गर्म करके खाद्य सामग्रियां बनाई जाती हैं। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। उच्च तापमान पर गर्म तेल से विषैला धुआं निकलता है।
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उच्च तापमान पर तेल में मौजूद कुछ फैट्स ट्रांस फैट में बदल जाते हैं, ट्रांस फैट्स नुकसानदेह है। ये शरीर में कोलेस्ट्राल और हृदयरोग का खतरा बढ़ाते हैं। जब तेल को दोबारा इस्तेमाल किया जाता है तो ट्रांस फैट्स की मात्रा और ज्यादा हो जाती है। फूड्स में नमी, वायुमंडलीय आक्सीजन और उच्च तापमान के संयोग से इड्रोलिसिस, आक्सीकरण और बहुलीकरण जैसी प्रतिक्रियाएं निर्मित होती हैं।
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क्या कहते हैं पोषण विशेषज्ञ?
बचे हुए तेल का दोबारा से उपयोग स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार से नुकसानदायक हो सकता है? इस बारे में जानने के लिए हमने पोषण विशेषज्ञ डॉ अर्चना सक्सेना से बातचीत की। डॉ अर्चना बताती हैं, आमतौर पर पकौड़ों या पूरी बनाने के बाद कड़ाही में बचे हुए तेल को दोबारा से डब्बे में डालकर हम लंबे समय तक इस्तेमाल करते रहते हैं, हालांकि इसका स्वास्थ्य पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जब तेल धुआं छोड़ना शुरू करता है, तो यह ट्रांस फैट और पैरा एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन में ऑक्सीकृत हो जाता है। यह सभी स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक हो सकते हैं।
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