राजिम,18 फरवरी । छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को मंच पर अनोखे अंदाज में प्रस्तुत करने और मनोरंजन का पहले के समय में प्रमुख साधन नाचा को माना जाता है। नाचा शैली में खास अंदाज के लिए जाने जाने वाले पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर दादरा ने मुख्य मंच पर बहुत ही शानदार प्रस्तुति दी। जिसें दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए अपनी जीवनी के बारे में बताते हुए कहा कि नाचा एक ऐसी विधा है जिसमें सभी रसों का पान होता है। यह प्रेरणादायक रहता है लेकिन पहले और अब में नाचा के प्रति सोच और आयोजन को लेकर बहुत फर्क आ गया है। धीरे-धीरे लोग फिर से नाचे की ओर वापस लौट रहे हैं, जिसमें भाव भक्ति हास्य कॉमेडी जैसे अनेकों रस मिलता है। नाचा ही लोगों को प्रेरणा देती है।
उन्होंने बताया कि मोर मयारू लाटाबोर बालोद के नाम से नाचा पार्टी बनाया हूं। 11 वर्ष की उम्र से इस और आकर्षित हूं अब 52 वर्ष हो गया है पहले मसाल नृत्य नुक्कड़ नाटक जैसे नाचा होता था, क्योंकि मेरे पिताजी जो मेरे गुरु भी हैं वह भी मसाल नाचा में नाचते थे उसे देखकर मुझे भी इस ओर आने का अवसर मिला। बहुत ही खुशी के साथ बताते हुए कहा कि जब मुझे पद्मश्री के लिए नामित किया गया तो ऐसा लगा कि मुझे सारी खुशी मिल गया हो, मुझे सारी मेहनत का इनाम मिल गया। उन्होंने बताया कि मैं लेखनी, साहित्य से भी जुड़ा हूं साथ ही जनसेवक का कार्य भी करता हूं, लेकिन उम्मीद नहीं थी कि पद्मश्री मिल जाएगा। अन्य राज्यों में अपनी प्रस्तुति के बारे में बताया कि अंडमान निकोबार में लगातार 4 दिन तक कार्यक्रम दिया इसके अलावा नागपुर, दिल्ली, भोपाल इंदौर सीहोर सहित अनेकों जगह पर नाटक की प्रस्तुति दी है।
उन्होंने बताया कि नाचा बंद ना हो जाए इसलिए लोगों को भी और नाचा पार्टी बनाकर प्रेरित करता हूं। अब मड़ई और अन्य आयोजनों में भी नाचा की मांग होती है। अपने नाचा के द्वारा प्रमुख रूप से प्रस्तुत किए जाने वाले कहानी के बारे में बताते हुए कहा कि डाकू सुल्ताना, छत्तीसगढ़ महतारी, किरिया, नागिन का बदला, बुध गौरैया आदि प्रमुख कहानी है जिसे प्रस्तुत करते हैं। इसमें डाकू कैसे अपने मातृभूमि के प्रति लगाव होता है कैसे उनका मन बदलता है इस पर फोकस किया गया है। कहानी प्रेरणादायक रहता है।
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