Mahashivratri 2023: कहा जाता है भगवान हमेशा भाव प्रिय होता है। अगर भक्त के पास भोलेनाथ को अर्पित करने के लिए कुछ नहीं हो और वो शिवालय भी नहीं जा पा रहा हो तो भी शिव मानस पूजा से वे प्रसन्न हो जाते हैं। शिव मानस पूजा की रचना आदि शंकराचार्य ने की है। भगवान शिव को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि वे केवल जल अर्पित करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव मानस पूजा में मन में की गई शिव की पूजा है, जिसमें हम भगवान शिव की स्तुति करते हुए मन में ही उन्हें वो सारी चीजें अर्पित करते हैं जो उन्हें पसंद हैं। माना जाता है कि कितना ही पूजन पाठ क्यों न कर लो अगर आपका मन उस समय भक्ति में नहीं है तो उसका फल नहीं मिलता। ऐसे में आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव मानस पूजा हमारे मन को ही भोलेनाथ की भक्ति में लगाती है।
श्री शिवमानस पूजा
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं
नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम् ।
जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम् ॥ 1 ॥
सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम् ।
शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु ॥ 2 ॥
छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलं
वीणाभेरिमृदङ्गकाहलकला गीतं च नृत्यं तथा ।
साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया
सङ्कल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो ॥ 3 ॥
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः ।
सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम् ॥ 4 ॥
करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम् ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥ 5 ॥
इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचिता शिवमानसपूजा संपूर्ण ॥
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