नई दिल्ली, ,14 फरवरी। भारतीय टीम (India Cricket team) के पूर्व हेड कोच गैरी कर्स्टन (Gary Kirsten) ने महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को लेकर बड़ा खुलासा किया है। कर्स्टन ने बताया कि वो जब भारतीय टीम के साथ जुड़े तब सचिन तेंदुलकर बेहद नाखुश थे और संन्यास लेने का विचार कर रहे थे। कर्स्टन ने साथ ही बताया कि एमएस धोनी (MS Dhoni) उनके लिए एकदम अलग रहे और उन्होंने पूर्व कप्तान की तुलना मास्टर ब्लास्टर से की।
गैरी कर्स्टन ने एडम कोलिंस के यूट्यूब शो द फाइनल वर्ड क्रिकेट पोडकास्ट में बातचीत करते हुए याद किया कि जब दिसंबर 2007 में उनकी नियुक्ति भारतीय हेड कोच के रूप में हुई, तब उन्हें टीम में काफी नाखुशी और भय का माहौल लगा। कर्स्टन ने ध्यान दिलाया कि सचिन तेंदुलकर बेहद नाखुश थे और वो उस समय वो संन्यास लेने का मन बना रहे थे। वेस्टइंडीज में संपन्न 2007 विश्व कप में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सचिन तेंदुलकर के संन्यास की कहानी से फैंस अच्छी तरह वाकिफ हैं।
हैरान रह गए थे कर्स्टन
कर्स्टन ने खुलासा किया कि 2007 में बाकी समय शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद सचिन तेंदुलकर के मन में संन्यास का विचार लगातार चल रहा था, जिसे जानकर वो हैरान रह गए थे। पूर्व दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज ने कहा, ‘उस समय धोनी जैसी कप्तानी की जरुरत थी, ताकि इस प्रतिभाशाली टीम को विश्व चैंपियन बनाया जा सके। जब मैंने टीम की जिम्मेदारी संभाली, तब टीम में काफी भय था। खिलाड़ियों में नाखुशी थी और इसलिए मेरे लिए जरूरी था कि व्यक्ति को समझूं और जान सकूं कि वो टीम में खुद को कहां फिट मानते हैं व खेलने के लिए उनकी खुशी का जरिया क्या है।’
अपने क्रिकेट का आनंद नहीं उठा रहे थे सचिन
कर्स्टन ने आगे कहा, ‘सचिन तेंदुलकर मेरे लिए सबसे अलग थे क्योंकि वो काफी नाखुश थे, जब मैं टीम से जुड़ा। उन्हें लगता था कि वो टीम को काफी कुछ दे सकते हैं, लेकिन वो अपने क्रिकेट का आनंद नहीं उठा रहे थे और अपने करियर के ऐसे पड़ाव पर थे, जब संन्यास लेने का मन बना रहे थे। मेरे लिए जरूरी था कि उनसे जुड़कर उन्हें महसूस कराऊं कि टीम में उनका योगदान बड़ा है और वो जो करना चाहते हैं, उससे ज्यादा उनके योगदान की जरुरत है।’
धोनी से मिली बड़ी मदद
कर्स्टन-धोनी की साझेदारी इसलिए जानी जाती है, जिसने भारतीय क्रिकेट को विश्व कप जीतने का एहसास कराया। 2008 में बनी इस जोड़ी ने तीन साल बाद घरेलू दर्शकों के सामने देश को सबसे बड़ा तोहफा दिया। कर्स्टन ने स्वीकार किया कि भारत में सुपर स्टार परंपरा के बीच क्रिकेटर्स भूल जाते हैं कि टीम के लिए उन्हें प्रदर्शन करना जरूरी है और व्यक्तिगत कीर्तिमान मायने नहीं रखते और इस क्षेत्र में धोनी तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों से अलग हैं।
तेंदुलकर को आनंद आने लगा
कर्स्टन ने कहा, ‘कोई कोच ऐसे खिलाड़ियों का समूह चाहेगा जो शर्ट के आगे वाले नाम के लिए खेले न कि शर्ट के पीछे वाले नाम के लिए खेले। भारत मुश्किल जगह है, जहां व्यक्तिगत सुपरस्टार को लेकर काफी हवा बनी होती है और आप अधिकांश ऐसे में भूल जाते हैं कि आपकी निजी जरुरतें क्या हैं। इस मामले में धोनी अलग तरह के लीडर रहे क्योंकि वो टीम को लेकर काफी केंद्रित रहे कि अच्छा प्रदर्शन करे। वो ट्रॉफी जीतना चाहते थे और इसमें सफलता हासिल की और इस बारे में सार्वजनिक रूप से कहते थे। इससे कई खिलाड़ी वापस ट्रैक पर लौटे और सचिन तेंदुलकर अपने क्रिकेट का आनंद उठाने लगे।’
कर्स्टन ने आखिरी में कहा, ‘एमएस धोनी और मैंने सबसे अनचाही कोच-कप्तान की साझेदारी बनाई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में किसी ने कल्पना नहीं की होगी। हमने एकसाथ इस यात्रा का आनंद उठाया।’
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