LTTE प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन जिंदा है। यह दावा तमिलनाडु के पूर्व कांग्रेस नेता और वर्ल्ड कन्फेडरेशन ऑफ तमिल के अध्यक्ष पाझा नेदुमारन ने सोमवार को किया। उन्होंने बताया कि वह जीवित हैं और स्वस्थ हैं। हमें विश्वास है कि इससे उनकी मौत की अफवाहों पर विराम लगेगा। वो जल्द ही दुनिया के सामने आएंगे।
प्रभाकरन को 18 मई 2009 को श्रीलंका सरकार ने मृत घोषित किया था। सरकार ने बताया कि वह 17 मई, 2009 को उस समय मारा गया जब देश के उत्तरी भाग में श्रीलंकाई सैनिक उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। अगले दिन उसका शव श्रीलंकाई मीडिया पर दिखाया गया था। एक हफ्ते बाद LTTE के प्रवक्ता सेल्वारासा पथ्मनाथान ने इसकी पुष्टि की थी। दो हफ्ते बाद डीएनए टेस्ट में भी ये कहा गया कि ये शव प्रभाकरन का ही है। इस दौरान उसके बेटे एंथनी चार्ल्स की भी मौत हो गई थी।
क्या है लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE)?
- LTTE श्रीलंका का आतंकी संगठन है। श्रीलंका का ये अलगाववादी संगठन तमिलों के लिए अलग राष्ट्र की मांग के साथ बना था। इस संगठन का नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन था।
- 1976 में इस संगठन ने विलिकाडे में नरसंहार कर अपनी हिंसक और मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। संगठन धीरे-धीरे अपनी पकड़ बढ़ाता गया। इस दौरान इस संगठन ने कई बार श्रीलंकाई नेताओं को अपना निशाना बनाया।
- 80 के दशक के बाद संगठन को अन्य देशों से भी सहयोग मिलने लगा और इसकी ताकत बढ़ने लगी। 1985 में श्रीलंका सरकार और तमिल विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता की पहली कोशिश की गई जो नाकाम रही।
LTTE की मौजूदगी से श्रीलंका में गृह युद्ध शुरू हो गया। इसे शांति करने के लिए 29 जुलाई 1987 को भारत और श्रीलंका के बीच शांति समझौते हुआ। 1987 में LTTE लड़ाकों से मुकाबले के लिए भारत ने भी अपनी सेना श्रीलंका भेजी थी। भारत के इस कदम से LTTE भारत के खिलाफ हो गया और उसने बदला लेने की ठानी। राजीव गांधी की हत्या के साथ LTTE का बदला पूरा हुआ।
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