नई दिल्ली,12 फरवरी । राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कटक में दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस-2023 का उद्घाटन किया। ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर तथा ओडिशा के कृषि और किसान अधिकारिता, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास मंत्री, रणेंद्र प्रताप स्वैन भी इस अवसर पर उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि चावल भारत में खाद्य सुरक्षा का आधार है और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख कारक भी है।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में भव्य समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत चावल का अग्रणी उपभोक्ता और निर्यातक है, जिसका काफी श्रेय इस संस्थान को जाता है, लेकिन जब देश आजाद हुआ तो स्थिति अलग थी। राष्ट्रपति ने कहा कि उन दिनों हम अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ थे और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर थे। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि पिछली शताब्दी में जैसे-जैसे सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ, चावल नए स्थानों पर उगाए जाने लगे और इसे नए उपभोक्ता मिले।
उन्होंने कहा कि धान की फसल के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन दुनिया के कई हिस्से जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि सूखा, बाढ़, चक्रवात अब अधिक बार आते हैं, जिससे चावल की खेती अधिक प्रभावित हो जाती है। उन्होंने कहा कि भले ही नई भूमि पर चावल उगाए जा रहे हैं, लेकिन कई ऐसी जगह हैं जहां पारंपरिक किस्मों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमें बीच का रास्ता निकालना होगा, एक ओर हमें पारंपरिक किस्मों को संरक्षित करना होगा और दूसरी ओर ईकोसिस्टम के संतुलन को बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी को बचाने की चुनौती भी है, हमें मिट्टी को स्वस्थ रखने के लिए ऐसे उर्वरकों पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे देश के वैज्ञानिक पर्यावरण के अनुकूल चावल उत्पादन प्रणाली विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि चावल हमारी खाद्य सुरक्षा का आधार है, इसलिए इसके पोषण संबंधी पहलुओं पर भी विचार किया जाना चाहिए। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि कम आय वाले समूहों का एक बड़ा वर्ग चावल पर निर्भर रहता है, जो अक्सर उनके दैनिक पोषण का एकमात्र स्रोत होता है, इसलिए चावल के माध्यम से प्रोटीन, विटामिन और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने से कुपोषण से निपटने में मदद मिल सकती है।
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान-एनआरआरआई द्वारा देश के पहले उच्च प्रोटीन वाले चावल के विकास पर उन्होंने कहा कि इस तरह की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों का विकास आदर्श है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि देश का वैज्ञानिक समुदाय इस चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम होगा। समारोह में कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. हिमांशु पाठक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. पी.के. अग्रवाल, एसोसिएशन ऑफ राइस रिसर्च वर्कर्स के अध्यक्ष डॉ. ए.के. नायक, संस्थान के निदेशक एवं आयोजन सचिव डॉ. एस. साहा उपस्थित थे। चार दिवसीय कांग्रेस में देश-विदेश के किसान, वैज्ञानिक, केन्द्रीय व राज्य कृषि व अन्य विभागों के अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
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