उत्तराखंड में जारी हुआ नकल विरोधी कानून, उम्र कैद के साथ देना होगा 10 करोड़ का जुर्माना

देहरादून ,11 फरवरी  उत्तराखंड में पेपर लीक मामले में सख्त नकल विरोधी कानून का अध्यादेश जारी किया गया है। राज्यपाल ने लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने शुक्रवार को उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश 2023 पर मुहर लगा दी। सरकार को उम्मीद है कि इससे आगे घटनाओं में कमी आएगी।

इस कानून के तहत अगर कोई प्रिटिंग प्रेस, कोचिंग इंस्टीट्यूट या मैनेजमेंट सिस्टम नकल कराने पर दोषी पाया जाता है, तो उसे उम्र कैद की सजा हो सकती है। साथ उसे 10 करोड़ रुपए जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ मिलकर षडयंत्र करता है ,तो उसके लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है।

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बता दें कि राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं पर नकेल लगाने के लिए सरकार सख्त कानून बनाने रही है। इसी के तहत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद राज्यपाल के पास भेजा था। राज्यपाल ने इसे गंभीरता से लेते हुए 24 घंटे के भीतर इस कानून को हरी झंडी दे दी।

प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश 2023 के लागू होने के बाद छात्र अगर नकल करते या कराते पकड़ा गया तो उसे 3 साल कारावास और 5 लाख तक जुर्माना देना पड़ सकता है। वह छात्र दोबारा पकड़ा गया तो उसे कम से कम 10 साल की सज़ा और 10 लाख तक के जुर्माना देना पड़ सकता है।इसके अलावा परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों के इस्तेमाल करते पाए जाने पर अर्जित संपत्ति की कुर्की की जाएगी।

मुख्यमंत्री धामी ने इस अध्यादेश को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल का आभार जताया। धामी ने ट्वीट किया- हमारी सरकार की तरफ से भेजे गए देश के सबसे सख्त नकल विरोधी कानून के अध्यादेश को माननीय राज्यपाल ने स्वीकृति दे दी है। अब प्रदेश में होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षा में नकल विरोधी कानून लागू होगा। युवाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए हम नकल माफिया को जड़ से उखाड़ने हेतु पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं।

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