कोरबा, 09 फरवरी । सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों का उल्लंघन करना कोई नई बात नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बैठे जन सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी भी आवेदकों के आवेदन का निराकरण करने में रुचि ना लें तो पारदर्शिता कहां दिखाई देगी। आवेदक संदीप कुमार अग्रवाल के द्वारा मांगी गई जानकारी एवं अपीलीय अधिकारी के विलम्ब से भेजे गए पत्रों पर,आरटीआई अधिनियम 2005 के तहत आवेदक एवं आरटीआई कार्यकर्ता संदीप कुमार ने दिव्यांग शिक्षकों की जानकारी मांगी है। इस हेतु जन सूचना अधिकारी कार्यालय विकास खंड शिक्षा अधिकारी पोड़ी उपरोड़ा के समक्ष 10 रुपये के पोस्टल ऑर्डर के साथ 07फरवरी को आवेदन किया जिसमें जन सूचना अधिकारी ने आवेदन का जवाब देने से इनकार करते हुए यह लिखा कि उनके द्वारा प्राप्त आवेदन अस्पष्ट है। इस प्रकार आवेदक को समय सीमा में जानकारी नहीं मिलने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा में 05फरवरी को रु 50 के चालान के साथ अपील किया।
उक्त अपील के संबंध में प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा ने पत्र क्रमांक 7396 प्रकरण क्रमांक 46 दर्ज कर 20फरवरी को समय 11:30 बजे कार्यालय में सुनवाई नियत किया जिसे प्रथम अपीलीय अधिकारी ने आवेदक को सूचनार्थ के रूप में डाक से 18फरवरी को पत्र प्रेषित किया जो कि आवेदक को विलंब से प्राप्त हुआ। फल स्वरुप आवेदक 20 जनवरी को अपील दिनांक को कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए एवं उनका नोटशीट पर अनुपस्थित दर्ज हुआ। दूसरी सुनवाई हेतु कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी के प्रथम अपीलीय अधिकारी ने पत्र क्रमांक 7627 के द्वारा प्रकरण क्रमांक 46 की सुनवाई हेतु 30 जनवरी का समय निश्चित कर आवेदक को कार्यालय में उपस्थित करने हेतु रजिस्टर्ड डाक से एक पत्र प्रेषित किया,रजिस्टर्ड डाक का क्रमांक आरसी 3543 557 425 इन है जो कि 31 जनवरी को हसदेव प्रोजेक्ट कोरबा से प्रेषित किया गया। यह पत्र आवेदक को 3 फरवरी को प्राप्त हुआ।
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यहां यह बताना लाजमी होगा कि कैसे प्रथम अपीलीय अधिकारी ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पत्राचार को मजाक बनाया हुआ है। गौर करने वाली बात यह है कि पत्र में उल्लेखित 20 जनवरी को अंकित है जिसमें द्वितीय सुनवाई का अवसर 30 जनवरी को नियत किया गया है,वहीं इस पत्र को 1 दिन बाद अर्थात 31 जनवरी को प्रेषित किया जाता है जिससे साफ तौर पर लापरवाही एवं सूचना के अधिकार अधिनियम का मजाक ही कहा जाएगा। यह पत्र जब 31 जनवरी को रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया है तो भला 30 जनवरी को आवेदक कार्यालय में कैसे उपस्थित हो सकता है? यह कोई जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों का पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व भी कार्यालय में कार्यरत जन सूचना अधिकारी सुनील कुमार सोनी अपने उच्च कार्यालय के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए चेतावनी भी प्राप्त कर चुके हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा विभाग संयुक्त संचालक बिलासपुर के आदेश के परिपालन के लिए सुनील कुमार सोनी ने अब तक संबंधित आवेदक को जानकारी एवं दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया है जिसके कारण आवेदक ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील भी कर दी है और उसकी सुनवाई 23 मार्च को रखी गई है।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी आए दिन सुर्खियों में रहते हैं। कभी प्रधान पाठक पद पर पदोन्नति को लेकर लेनदेन का आरोप हो या कभी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत दस्तावेज प्रदान नहीं करने का। इस बार तो पत्राचार को देरी से भेज कर संबंधित आवेदक को यह बता दिया गया कि कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी में बैठे कर्मचारी अधिकारी ही सर्वोपरि हैं । वह जो चाहे वह कर सकते हैं और इस प्रकार का कृत्य सिविल सेवा आचरण संहिता अधिनियम के तहत गंभीर लापरवाही मानी जाती है। इसकी शिकायत आवेदक ने राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त लोक शिक्षण संचनालय के संचालक को एवं संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर को लिखित तौर पर की है। अब देखना है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदनों का निराकरण की दिशा में कोई नया कदम उठाया जाएगा अथवा वही पुराना राग अलापा जाएगा।
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