रायगढ़,,04 फरवरी। रायगढ़ जिले में सबसे बड़ी समस्या सडक़ों की है। रोड निर्माण के लिए जो तकनीकी मापदंड हैं, उसका पालन नहीं किया जाता। ग्रामीण सडक़ों और हाईवे निर्माण में घटिया स्तर का काम किया जाता है। इसका प्रमाण मंडी बोर्ड द्वारा खरसिया क्षेत्र में कराए जा रहे तीन सडक़ों का मामला है। मंत्री उमेश पटेल की शिकायत पर जांच कराई गई तो तीन सडक़ों के सैम्पल फेल हो गए हैं।मामला खरसिया विधानसभा क्षेत्र का है। शासन ने तीन गांवों में सडक़ निर्माण की मंजूरी दी थी जिसका निर्माण कृषि उपज मंडी बोर्ड करवा रहा था। ग्रामीणों ने उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल को गुणवत्ता खराब होने की शिकायत की थी। दर्रामुड़ा, कोड़तराई और डोंगीतराई में निर्माण चल रहा था। इसका ठेका भी रायपुर के ठेकेदार पांडे को दिया गया है। उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने स्वयं गांव पहुंचकर खुद ही सडक़ों का जायजा लिया था।
सडक़ों की स्थिति देखकर वे बेहद नाराज हुए थे और मौके पर रायगढ़ एसडीएम को भी बुला लिया। उन्होंने तुरंत सभी सडक़ों के सैम्पल कलेक्ट कर लैब में जांच कराने को कहा था। तीनों सडक़ों के सैम्पल पीडब्ल्यूडी को दिए गए थे। बताया जा रहा है कि लैब टेस्ट में तीनों सैम्पल फेल हो गए हैं। सडक़ निर्माण को लेकर हो रही शिकायत सही पाई गई है। बताया जा रहा है कि जितनी स्ट्रेंग्थ सडक़ में होनी चाहिए, उससे बेहद कम है। कांक्रीट बहुत जल्दी टूट गया।
अब आगे क्या कार्रवाई
मंत्री उमेश पटेल ने तीनों सीसी रोड की कटिंग कर सैम्पल लेने का आदेश दिया था जिसके बाद जांच कराई गई। अब मामले में ठेकेदार पर कार्रवाई की जानी है। ग्रामीण इलाकों में सडक़ बनाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत या पीएमजीएसवाय की होती है, लेकिन यह काम मंडी बोर्ड को मिला। कोई भी रोड 20 लाख से अधिक बजट की नहीं है। ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाया जा सकता था लेकिन इसका टेंडर ग्रुप में रायपुर से किया गया था। इसी वजह से काम की क्वालिटी खराब हो रही है।
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