रेल मंत्री के घोषणा के तेरह साल बाद भी भिलाई में नहीं बन पाया रेलवे पॉलिटेक्निक

भिलाई , 03 फरवरी  भिलाई में रेलवे पॉलिटेक्निक शुरू करने की योजना दशक भर बाद भी शुरू नहीं हो सकी है। इसकी घोषणा रेलमंत्री रहते पश्चिम बंगाल की मौजूदा मुख्यमंत्री  ममता बनर्जी ने वर्ष 2010 के रेल बजट में की थी। ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद रेल मंत्रालय संभालने वालों की बेरुखी से रेलवे पॉलिटेक्निक के रुप में भिलाई को मिलने वाली सौगात अब तलक अधूरी है।

रेलवे के नक्शे में भिलाई-चरोदा की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। इस क्षेत्र में रेलवे के अनेक विभाग संचालित होने के साथ ही एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे यार्ड है। लिहाजा बड़ी संख्या में रेलवे कर्मचारियों की मौजूदगी को देखते हुए वर्ष 2010 के रेल बजट में यहां रेलवे पॉलिटेक्निक स्थापना करने की घोषणा की गई थी। उस दौर में आम बजट से अलग एक दिन पहले रेल बजट पेश किए जाने की परम्परा थी। इस परम्परा का निर्वहन करते हुए तात्कालीन रेलमंत्री  ममता बनर्जी ने भिलाई में रेलवे पॉलिटेक्निक खोलने की घोषणा बजट में की थी।

दरअसलए उस वक्त के स्थानीय रेल अधिकारियों की सोच थी कि भिलाई -चरोदा में रेल कर्मचारियों के बच्चों को तकनीकी शिक्षा के लिए दूसरे शहर का रुख करने की जरूरत नहीं पड़े। इसी सोच के साथ दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन से भेजे गए प्रस्ताव को रेल मंत्रालय ने वाजिब मानकर बजट में शामिल किया। बजट में घोषणा होने के बाद स्थानीय स्तर पर रेलवे पॉलिटेक्निक शुरू करने की दिशा में प्रारंभिक कवायद भी अधिकारियों ने की। लेकिन ममता बनर्जी के रेलमंत्री पद छोड़ पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने के बाद इस महत्वपूर्ण योजना को एक तरह से रेलवे ने ठंडे बस्ते में डाल दिया।

चिन्हित हुआ था पीपी वार्ड कालोनी के खाली आवास

रेल बजट में हुई घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए स्थानीय अधिकारियों ने भिलाई-3 से सिरसा कला जाने वाले मार्ग पर स्थित पीपी यार्ड कालोनी के खाली पड़े आवासों को चिन्हित किया था। नया भवन बनने से पहले इन आवासों में अस्थाई रूप से रेलवे पॉलिटेक्निक शुरू करने की तैयारी चल रही थी। इसके बाद वर्ष 2011 में ममता बनर्जी रेल मंत्री पद से हट गई। उनके स्थान पर तृणमूल कांग्रेस से ही दिनेश त्रिवेदी को रेलमंत्री बनने का मौका मिला। लेकिन भिलाई में रेलवे पॉलिटेक्निक शुरू करने की गतिविधि फिर ठंडे बस्ते में डाल दी गई।