Raipur News : अधिकारियों-नेताओं के नाम के सहारे खड़ा किया सूर्यकांत तिवारी ने अवैध वसूली का गैंग, ED की दूसरी चार्जशीट में खुलासा

रायपुर,02 फरवरी । प्रदेश में कोयला और आयरन पैलेट परिवहन में अवैध लेवी वसूली से मनी लॉन्ड्रिंग तक का खेल आरोपियों की डायरियों और वॉट्सएप चैट से खुल गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने निचली अदालत में पेश अपनी दूसरी चार्जशीट में इस खुलासे का विस्तृत विवरण पेश किया है। इसमें पहली बार बताया गया है कि मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने अवैध वसूली का यह गैंग राज्य प्रशासनिक सेवा के कुछ अधिकारियों और नेताओं के नाम के सहारे खड़ा किया था।

ईडी ने न्यायालय को बताया कि उन्होंने सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत तिवारी और उसके एक कर्मचारी निखिल चंद्राकर के यहां से हाथ से लिखी डायरियां बरामद की हैं। नवनीत तिवारी के पास से एक एक्सेल शीट और राहुल सिंह के पास से बाउंड बुक बरामद किया है। इन दस्तावेजों में उगाही की 950 प्रविष्टियां हैं। इनमें से 900 प्रविष्टियां सूर्यकांत के कर्मचारियों की हैं और 50 अफसरों की ओर से। इनमें 540 करोड़ रुपए की उगाही का पूरा विवरण दर्ज है।

डायरियों के विश्लेषण और बेनामी सौदों के विश्लेषण के बाद ED ने 277 करोड़ रुपए खपाने का हिसाब भी दिया है। इसके मुताबिक इस उगाही में से 170 करोड़ रुपए बेनामी अचल संपत्तियों को खरीदने में खपाये गये। 36 करोड़ रुपए की नकदी सौम्या चौरसिया को दी गई। 52 करोड़ रुपए की दूसरी सबसे बड़ी राशि एक राजनीतिक पार्टी के वरिष्ठ नेता को दिया गया (Ed की चार्जशीट में नाम का खुलासा नहीं है)। वहीं चार करोड़ रुपए विधायकों को दिये गये हैं। 6 करोड़ रुपए पूर्व विधायकों और कुछ नेताओं को दिये गये हैं। पांच करोड़ रुपया झारखंड और 4 करोड़ रुपया बेंगलुरु भेजा गया था।

ED ने बताया कि 15 जुलाई 2020 को खनिज साधन विभाग की एक अधिसूचना से कोयला परिवहन की अनुमति की ऑनलाइन व्यवस्था खत्म कर दी गई। 30 जुलाई 2020 से अवैध उगाही के इस गैंग ने काम करना शुरू कर दिया। इसके तहत जब तक कोयले पर 25 रुपया प्रति टन और आयरन पैलेट पर 100 रुपया प्रति टन की अवैध लेवी नहीं मिल जाती थी तब तक जिला परिवहन कार्यालय से ट्रांसपोर्टर को एनओसी नहीं जारी होती थी। पेमेंट होने के बाद सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारी संबंधित अधिकारियों को बताते थे कि पैसा मिल गया है, उसके बाद एनओसी जारी होती थी।

ईडी की जांच में तीन आईपीएस अफसरों के नाम भी आये हैं, जिन्होंने सूर्यकांत तिवारी से गोपनीय दस्तावेज साझा किये और कामकाज के आदेश लिये। इसमें पारुल माथुर, प्रशांत अग्रवाल और भोजराम पटेल का नाम शामिल है। एक अफसर ने अपने बयान में कहा है कि हमें मौखिक आदेश मिले थे की कोयले से संबंधित मामले में किसी कार्रवाई से पहले सौम्या चौरसिया की प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष अनुमति जरूरी है। सूर्यकांत तिवारी के माध्यम से उन्होंने कोयले से जुडे़ मामले की जानकारी चौरसिया तक पहुंचाई थी। ईडी का कहना है कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा रैकेट चल ही नहीं सकता था।

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ईडी के मुताबिक इस अवैध वसूली का पैसा पहुंचाने के लिए बिचौलियों की लेयरिंग की गई थी। सूर्यकांत तिवारी के एक रिश्तेदार मनीष उपाध्याय को भिलाई के सूर्या अपार्टमेंट में एक फ्लैट दिलाया गया। यह फ्लैट सौम्या चौरसिया के फ्लैट के ठीक सामने था। ईडी का कहना है, जब भी चौरसिया को तिवारी के कोयला गैंग से नकदी लेने की जरूरत होती थी तो वह पैसा उपाध्याय को भेजा जाता । डायरियों में इसे MU नाम से दर्ज किया गया है। अधिकारियों के लिए महंगे मोबाइल फोन, एप्पल की कलाई घड़ी आदि की खरीदी में इसी तरह से हुई। वहीं उत्तराखंड के एक रिसॉर्ट में एक सप्ताह तक प्रवास का पूरा खर्च भी इसी तरह मनीष उपाध्याय के जरिये सूर्यकांत ने उठाया था। एक अधिकारी की एक मेड की शादी का खर्च भी इसी कर्टेल ने उठाया था।

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