कोरबा, 27 जनवरी (वेदांत समाचार)। इस परिवर्तनशील संसार में जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। लेकिन जन्म लेना उसी का सार्थक है,जो अपने कार्यों से कुल, समाज और राष्ट्र को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर करता है।महाराजा भतृहरि के इन महावाक्यों को चरितार्थ करता चौधरी मित्रसेन आर्य का जीवन सत्य,संयम और सेवा का अद्भुत मिश्रण रहा।इनके लिए स्वहित को छोड़ मानव हित ही सर्वोपरि रहा। 15 दिसंबर 1931 को हरियाणा के हिसार जिले के खांडा खेड़ी गाँव में चौधरी श्रीराम आर्य के घर में माता जीवो देवी की कोख से चौधरी मित्रसेन आर्य का जन्म हुआ। अपने पूर्वजों से मिले संस्कार व अपनी पत्नि के साथ चौधरी मित्रसेन जी सन् 1957 में रोहतक में एक लेथ मशीन के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया।
एक गृहस्थ व व्यवसायी होते हुए भी उन्होंने अपने जीवन में ऐसे आदर्श स्थापित किए जिन्हें यदि हम अपना लें तो रामराज्य की कल्पना साकार की जा सकती है।चौधरी जी के विचार थे हमें हर कार्य को करने पहले यह सोच लेना चाहिए कि इसके करने से सबका हित होगा या नहीं ।यदि व्यक्तिगत रुप से लाभ लेने वाला कोई कार्य समाज के लिए अहितकर है तो उस कार्य को कदापि नहीं करना चाहिए।
ऐसे महान विभूति के जन्मदिन के पावन अवसर पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में हवन-पूजन का आयोजन किया गया। डॉ. संजय गुप्ता एवं श्री सब्यसाची सरकार एवं श्रीमती सोमा सरकार ने चौधरी मित्रसेन आर्य के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । विद्यालय में सतत रूप से साफ-सफाई सहित अन्य कार्यो में सहयोग देने वाले चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता एवं श्री सब्यसाची एवं श्रीमती सोमा सरकार के द्वारा चौधरी मित्रसेन आर्य के निर्वाण दिवस के अवसर पर विभिन्न उपहारों से सम्मानित किया । कर्मचारियों को यह उपहार देकर दया,करुणा एवं परोपकार का संदेश देने का प्रयास किया गया।विद्यालय के संस्कृत शिक्षक श्री योगेश शुक्ला द्वारा संपूर्ण विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन पूजन करवाया गया।हवन कुंड में विद्यार्थियों ने भी शिक्षकों के साथ हवन कुंड में आहुति दी।हवन के पश्चात सभी को प्रसाद वितरण किया गया।
हवन कार्यक्रम का संचालन करते हुए विद्यालय की वरिष्ठ शिक्षिका श्रीमती सोमा सरकार (शैक्षणिक समन्वयक,प्री- प्राइमरी)ने कहा कि जीवन पर्यन्त परोपकार एवं परहित के आदर्श पर चलने वाले और समाज को एक दिशा और दृष्टि देने वाले चौधरी मित्रसेन जी भौतिक रुप से आज हमारे बीच नहीं हैं,लेकिन उनके विचार कार्य और उनकी दृष्टि युगों-युगों तक भावी पीढ़ी हेतु एक प्रेरणास्रोत रहेगी। बेटियों की शिक्षा-दीक्षा एवं उनकी सुरक्षा के प्रति चौधरी जी ने अभूतपूर्व कार्य किये हैं।
श्री सव्यसाची सरकार (शैक्षणिक समन्वयक) ने कहा कि इस दुनिया से हम कुछ भी साथ में लेकर नहीं जाने वाले,केवल हमारे सत्कर्म ही हमारे साथ जाते हैं।चौधरी मित्रसेन आर्य जी का जीवन भी परोपकार की मिसाल थे।यदि हमने अपने जीवन में सिर्फ स्वार्थ को स्थान दिया तो ऐसे जीवन का कोई अर्थ नहीं।दया,करुणा,परहित यही मानवता है।
इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि दुनिया में कुछ ही विरले लोग ऐसे होते हैं जो अपने सतकर्मों के पदचिन्ह छोड़ जाते हैं। जो दूसरों के लिए हमेशा अनुकरणीय होते हैं। चौधरी मित्र सेन ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे। वे जीवनभर हमारे लिए मिसाल एवं प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। ऐसे व्यक्तित्व की कमी समाज में हमेशा बनी रहती है। हमें ऐसे व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए । डॉ. संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि हमें हर कार्य को करने से पहले यह जाँच लेनी चाहिए कि इसके करने से सबका हित होगा क्योंकि हमारा कोई भी कार्य स्वार्थ के लिए नहीं परमार्थ के लिए होना चाहिए ।
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