भोपाल का नाम भोजपाल हो जाए, इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी से भी करूंगा बात : जगद्गुरु रामभद्राचार्य

भोपाल, 27 जनवरी । राजधानी के भेल दशहरा मैदान में इन दिनों जगद्गुरु रामभद्राचार्य श्रद्धालुओं को राम कथा सुना रहे हैं। उनके भोपाल आगमन के साथ ही भोपाल नगरी का नाम बदलकर भोजपाल करने का मुद्दा फिर गरमा गया है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य भी दो-तीन बार यह मांग कर चुके हैं। गुरुवार को कथावाचन के दौरान उन्‍होंने फिर यही बात दोहराई और कहा कि वह इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से भी चर्चा करेंगे।

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जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि राजा भोज ने भोपाल के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए। उनके नाम से भोपाल जाना जाता है। भोपाल का नाम भोजपाल हो जाए, इसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी बात करूंगा। राज्य व केंद्र सरकार भोपाल का नाम बदल कर उसका असली गौरव प्रदान करे। इसके लिए जो भी जरूरी प्रक्रिया है, वो पूरी कराई जाए। इससे पहले जगतगुरु रामभद्राचार्य ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भोपाल का नाम बदलवाने की मांग की थी। रामभद्राचार्य भेल दशहरा मैदान में भोजपाल मेला महोत्सव समिति द्वारा आयोजित श्रीराम कथा करने आए हैं। वो 31 जनवरी तक कथा कर रहे हैं। वो कह चुके हैं कि भोपाल का नाम भोजपाल नहीं हो जाता है, तब तक वो अगली बार कथा करने नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि देश में कई शहरों के नाम बदले गए हैं। ऐसे में भोपाल का भी नाम बदला जा सकता हैं, इसमें किसी भी समाज, धर्म व संगठन को परेशानी नहीं होनी चाहिए। इससे मप्र और देश का गौरव बढ़ेगा।

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भोजशाला में मां वाग्‍देवी की प्रतिमा को वापस लाएं

इसके अलावा जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा है कि केंद्र व राज्य सरकार मिलकर प्रयास करे तो भोजशाला की मां वाग्देवी की मूर्ति मिल सकती है, जिसे अंग्रेज उठाकर ले गए थे। मूर्ति 114 से लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट में रखी हुई है। महाराज ने कहा कि शिवराज व मोदी सरकार इस संबंध में मिलकर कार्य करे तो सफलता जरूर मिलेगी।

बता दें कि बीते चार दशक से भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग उठाई जा रही है। शहर के पूर्व महापौर आलोक शर्मा कई बार नाम बदलने की मांग कर चुके हैं। भोजपाल मेला महोत्सव समिति ने श्रीराम कथा के पहले दिन 23 जनवरी को जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज से भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग रखी थी। इसके बाद महाराज ने प्रण लिया था कि जब तक भोपाल का नाम नहीं बदला जाता, तब तक वो फिर से श्रीराम कथा भोपाल में करने नहीं आएंगे।

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