कोरबा,27जनवरी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कबाड़ का धंधा अवैध नहीं लेकिन इस धंधे की आड़ में चोरी का माल खरीदना अपराध है। इसके बाद में कोरबा जिले के विभिन्न इलाकों में यह अपराध हो रहा है। भले ही थाना-चौकी के प्रभारी अपने इलाके में चोरी का कबाड़ खरीदने-बेचने की बात से इंकार करते है लेकिन यह एक यक्ष प्रश्न है कि जब चोरी का कबाड़ खरीदा नहीं जा रहा है तो चोरों के द्वारा चुराए जाने वाले लोहा, तांबा, पीतल को कहां खपाया जा रहा है। क्या इन्हें पुलिस और उनके मुखिया तंत्र से बचाकर आसपास के जिले में सीधे खपाया जा रहा है या फिर जिले के भीतर ही चोरी का सामान खरीदने वाला गैंग सक्रिय है,जो पुलिस की नाक के नीचे से इसे ठिकाने लगाने में सक्रिय है।
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जिले में रेत,कोयला, मोटरसाइकिल चोरी, घरों-दुकानों में चोरी, स्कूलों में चोरी की घटनाओं के बीच अब बिजली विभाग के सरकारी खंभों की चोरी का मामला सामने आया है। जिले में चल रहे खंभा चोरी महा अभियान में हाल ही में कोतवाली थाना क्षेत्र के इमलीडुग्गु सबस्टेशन से महज 10 मीटर की दूरी से लगे लगभग 25 से 30 खम्भों को दिन-दहाड़े उखाड़ कर बेच दिया गया। सूत्र बताते हैं कि इसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों को पहले से थी। जब यह खबर सामने आई तो आनन-फानन में छापेमारी कर एक व्यक्ति को रंगे हाथ पकड़ने का दावा किया गया और लिखित में कोरबा कोतवाली को शिकायत की गई। अभी इस मामले में कार्यवाही लंबित है वहीं बताया जा रहा है कि पुलिस ने उसे शराबी कह कर छोड़ दिया। जब इस विषय मे विद्युत वितरण विभाग तुलसी नगर जोन के सहायक अभियंता से चर्चा की गई तो उन्होंने कोतवाली पुलिस द्वारा बयान लेने के लिए बुलाये जाने की बात बताई। घटना दिनांक से आज तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई है। विडंबना यह है कि इस घटना के कुछ दिन बाद ही सब स्टेशन के पास से बचे 10 खंभे भी गायब हो गए और वितरण विभाग के अधिकारी कुम्भकर्णी नीद में हैं। विभाग द्वारा लिखित शिकायत की गई पर एफआईआर नहीं हुई है जबकि डायल 112 की टीम ने उक्त आरोपी को रंगे हाथ पकड़ा था, जिसकी लिखित शिकायत की गई। पकड़े गए आरोपी से बिना पूछताछ के छोड़ देना समझ के परे है साथ ही विद्युत विभाग के उच्च अधिकारियों का ढीला रवैया किसी अधिकारी और ठेकेदार को बचाने का तो नहीं है क्योंकि आरोपी के पकड़ते ही इनका भेद खुलने में समय नहीं लगेगा। वैसे भी विद्युत विभाग में खंभा घोटाला सुर्खियों में रहा है। पुराने खंभों को पोत कर नया बताते हुए इसे लगाने और नए खंभों को गबन करने का मामला पहले ही उजागर हो चुका है।
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