मंडीदीप,21 जनवरी । रातापानी अभ्यारण में संरक्षित प्रजाति के दुर्लभ वन्यजीवों के दर्शन पर्यटकों को होने से वह काफी उत्साहित है इससे पहले जंगल सफारी के दौरान बाघ के दीदार के बाद बुधवार को दाहोद रेंज में इमलाना की घनी वादियों में जंगल सफारी के दौरान प्रकृति प्रेमी धनंजय विजय सिंह को संरक्षित अनुसूची 1 में आने वाला दुर्लभ प्रजाति के चौसिंगा(एंटीलोप) के दर्शन होने पर उन्होने कैमरे में कैद कर लिया।
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धनंजय विजय सिंह ने अपने कैमरे में कैद किया
वन परिक्षैत्राधिकारी कार्तिकेय शुक्ला ने बताया की यह दुलर्भ प्रजाती के चौसिंगा को धनंजय विजय सिंह ने कैद किया है उन्हें गत दिवस चौसिंगा समूह के दीदार हुए थे कैमरे में कैद करने तुरंत बाद ही यह दुर्लभ वन्यजीव कुलांचे भरते हुए रातापानी की वादियों में खो गया। वन महकमे के जिम्मेदारों ने बताया की यह जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की शेडयूल 1 के तहत संरक्षित है।
सुरक्षा मिली तो कई दुर्लभ प्रजातियो के हो रहे दीदार
रातापानी अधीक्षक बताते हैं कि सेंचुरी में वन्यजीवो की सुरक्षा के माकूल इंतजाम है पर्यटकों को जंगल सफारी के दौरान काफी अच्छे अनुभव हो रहे है इसी के तहत चौसिंगा (एंटीलोप) के दर्शन से पर्यटक अभिभूत हुए। इस समय रातापानी सेंचुरी में बेहतर हैबिटेट और सुरक्षित वातावरण मिलने से दुर्लभ प्रजाति के वन्य प्राणी देखने को मिल रहे हैं। बीच में यह प्रजाति बेहतर सुरक्षा के आभाव में विलुप्त की कगार पर पहुंच गई थी रातापानी के जंगल मे इनका पूरा समूह मौजूद है। ज्ञात हो की यह दुर्लभ प्राणी भारत और नेपाल में ही पाया जाता है।
चौसिंगा भारत व नेपाल में पाया जाने वाला हिरण है
वन्यजीव एक्सपर्ट बताते है की चौसिंगा को फोर हॉर्नड एटीलोप कहते है, जो प्राय: भारत व नेपाल में पाया जाने वाला हिरण होता है। इस परिवार के अन्य सदस्यों में दो सींग होते है, जबकि इसके चार सींग होते है। यह सुनहरी लाल रंग, 22-25 इंच ऊंचाई व अधिकतम 22 किलो का वन्यजीव होता है। इसके एक जोड़ी सींग दोनों कान के बीच में, जबकि दूसरे जोड़ी सींग आगे की और होते हैं। अद्भुत और दुर्लभ नजारो के लिए वन्यजीव प्रेमी रातापानी सेक्चुरी का रुख कर रहे है यहाँ ऐसे कई नजारे है जिनके दीदार पर्यटकों को हो रहे है।
जंगल सफारी के दौरान पर्यटकों को दुर्लभ वन्य प्राणियों के अलावा कई दुर्लभ चीजो से रूबरू कराने का प्रयास किया है जिसे पर्यटक पसन्द कर रहे है
- विजय सिंह, वनमंडलाधिकारी औबेदुल्लागंज
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