Pathaan OTT Release : इस दिन आएगी प्राइम वीडियो पर Pathaan फिल्म, जानें…

शाहरुख खान की मोस्ट अवेटेड एक्शन फिल्म ‘पठान’ की रिलीज से नौ दिन पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को यशराज फिल्म्स को फिल्म की ओटीटी रिलीज के लिए कुछ बदलाव करने का निर्देश दिया। दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम अभिनीत पठान को सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है, लेकिन ओटीटी पर स्ट्रीमिंग से पहले फिल्म को दोबारा सीबीएफसी से प्रसारण सर्टिफिकेट लेना होगा। इसी दौरान इस बात का खुलासा हो गया कि फिल्म 25 अप्रैल को प्राइम वीडियो पर इसके स्ट्रीम होगी।

बार एंड बेंच के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट ने पठान के निर्माताओं को दिव्यांग (दृष्टि बाधित, बधिर) लोगों के लाभ के लिए फिल्म के ओटीटी रिलीज के लिए हिंदी सब टाइटल, क्लोज्ड कैप्शन के साथ-साथ ऑडियो विवरण प्रदान करने के लिए कहा।

चूंकि पठान 25 जनवरी को बड़े पर्दे पर अपनी रिलीज से कुछ ही दिन दूर है, इसलिए अदालत ने पाया कि इस चरण में ऑडियो विवरण और सबटाइटल को लेकर फिल्म नहीं पास हुई है और अप्रैल में प्राइम वीडियो पर जब फिल्म सबटाइटल के साथ तैयार हो जाएगी तो निर्माता को सीबीएफसी के पास 10 मार्च तक दोबारा सर्टिफिकेशन के लिए जाना होगा।

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कोर्ट ने ‘पठान’ की ओटीटी रिलीज पर क्या कहा?

अदालत ने कहा- “जहां तक ​​’पठान’ के लिए ओटीटी रिलीज का संबंध है, यह निर्देश दिया जाता है कि निर्माता हिंदी भाषा में ऑडियो विवरण, उपशीर्षक तैयार करें और इसे पास होने के लिए सीबीएफसी को दोबारा प्रस्तुत करें। इसे जमा किए जाने पर, सीबीएफसी हिंदी में उपशीर्षक, ऑडियो विवरण और हिंदी में क्लोज्ड कैप्शनिंग के साथ फिल्म के पुन: प्रमाणन पर विचार करेगा।”

विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत दृष्टिहीन और श्रवण बाधित व्यक्तियों को फिल्म का उपयोग करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा: “वर्तमान रिट याचिका बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाती है क्योंकि श्रवण और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए मनोरंजन की पहुंच जरूरी है। RPWD अधिनियम 2016 की धारा 42 के तहत, सरकार का यह दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय करे कि सभी कॉन्टेंट विकलांग व्यक्तियों के लिए सुलभ प्रारूपों में उपलब्ध हो। फिल्मों के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि श्रवण और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए विशेष उपाय करने होंगे, क्योंकि ऐसे व्यक्तियों को सिनेमाघर में फिल्म देखने के अनुभव से वंचित नहीं किया जा सकता है।