पत्नी का मन नहीं फिर भी शारीरिक संबंध बनाना क्या रेप है ? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, जानिए क्या कहा

Supreme Court  ने मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग कर रही याचिकाओं पर सोमवार को केंद्र से जवाब मांगा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की पीठ ने केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक इस मुद्दे पर जवाब देने को कहा है. इन याचिकाओं पर सुनवाई 21 मार्च से शुरू होगी. अब सुप्रीम कोर्ट मार्च में मामले पर अंतिम सुनवाई कर यह तय करेगा कि मैरिटल रेप अपराध है या नहीं.

कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले पर फैसला दिया था, जिसमें मैरिटल रेप को अपराध करार दिया था जबकि दिल्ली हाईकोर्ट के जज इस मामले पर एकमत नहीं थे. तब इस मामले को तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया है. हालांकि इस दौरान सभी हाईकोर्ट में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास स्थानांतरित करने का आदेश दिया था.

वैवाहिक दुष्कर्म अपवाद की संवैधानिकता पर काेई टिप्पणी किए बिना हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले के तथ्यों और हालात में इस तरह के यौन हमले/दुष्कर्म के लिए पति को पूरी छूट नहीं दी जा सकती है. वैवाहिक दुष्कर्म पर बहस का एक लंबा दौर है. पूर्व में दिल्ली हाईकोर्ट में दााखिल याचिकाओं में दुष्कर्म के कानून के तहत पतियों को दी गई छूट को खत्म करने की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट ने एक पति को अपनी पत्नी से कथित रूप से दुष्कर्म करने के मुकदमे को चलाने की अनुमति दी थी. मई में शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पति की याचिका पर नोटिस जारी किया था.

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