नई दिल्ली ,16 जनवरी । भारत के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल दौलत का 40.5 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि सबसे गरीब 50 प्रतिशत जनता महज 3 प्रतिशत हिस्से के साथ गुजारा कर रही है। ऑक्सफैम इंडिया की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। देश के 100 सबसे अमीर व्यक्तियों की दौलत की बात करें तो यह 2022 में बढ़कर 54.12 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई है। ऑक्सफैम की यह रिपोर्ट बताती है कि देश के 10 सबसे अमीर व्यक्तियों की दौलत 2022 में 2021 की तुलना से 32.8 प्रतिशत बढ़कर 27.52 लाख रुपये हो गई है।
इसी के साथ देश में अरबपतियों की संख्या भी बढ़ी है। 2020 में देश में 102 और 2021 में 142 अरबपति थे, जो 2022 में बढ़कर 166 हो गए। वहीं 21 सबसे अमीर अरबपतियों के पास देश की 70 करोड़ से अधिक आबादी से ज्यादा दौलत है। देश के 100 सबसे अमीर लोगों की दौलत से 18 महीनों का देश का आम बजट चल सकता है। वहीं अगर भारत के अरबपतियों पर उनकी दौलत पर 2 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है तो इससे इतना पैसा आएगा, जिससे अगले तीन सालों तक देश में कुपोषितों के लिए उचित आहार की व्यवस्था हो सकती है।
पिछले 10 सालों में देश में जितने दौलत बनी है, उसका 40 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ एक प्रतिशत लोगों के पास गया है। ऑक्सफैम का कहना है कि केंद्र सरकार निम्न और मध्यम वर्ग पर अमीरों से ज्यादा टैक्स लगा रही है। 2021-22 में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) से आए 14.83 करोड़ रुपये में से 64 प्रतिशत पैसा सबसे गरीब 50 प्रतिशत आबादी से आया है। अनुमान है कि 33 प्रतिशत पैसा मध्यम वर्गीय 40 प्रतिशत आबादी और केवल 3 प्रतिशत सबसे अमीर एक प्रतिशत आबादी से आया है।
गरीब जनता सबसे अमीर लोगों से अधिक अप्रत्यक्ष टैक्स दे रही है। एक तरफ भारत में अरबपतियों की दौलत और उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं इससे उलट करोड़ों लोग गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश की 22.89 करोड़ आबादी गरीबी में रहती है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। अगर टैक्स व्यवस्था को उदार नहीं बनाया जाता है तो यह असमानता और अधिक बढ़ सकती है। भारत में इनकम टैक्स आय पर आधारित है, लेकिन अप्रत्यक्ष टैक्स अमीर और गरीब सबके लिए बराबर है।
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