गेवरा खदान का चारों दिशाओं से घेराबंदी- चरणबद्ध आंदोलन का शंखनाद

शासकीय भूमि का 100% सोलिशियम की मांग और आंशिक अधिग्रहण का विरोध

कोरबा / भूविस्थापितों की समस्याओं की निराकरण की मांग को लेकर चरण बद्ध आंदोलन के तहत आज गेवरा क्षेत्र के आमगांव , रलिया , ऊमेंदीभाटा ,भठोरा ,नराइबोध फेस में खदान के किनारे किनारे भूविस्थापितों मानव श्रृंखला बनाकर घेराबंदी आंदोलन किया गया । इसके बाद 21 जनवरी को एकदिनी खदान बन्द और 27 जनवरी से अनिश्चित कालीन बन्द किया जाएगा । आंदोलन के सबन्ध में जानकारी देते हुए ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के गेवरा क्षेत्रीय अध्यक्ष दीपक कुमार यादव ने बताया कि पूर्व में कई बार वार्ताओं एवं समझौते में हमारी वाजिब मांगो पर प्रबन्धन एवं प्रशासन के साथ द्विपक्षीय त्रिपक्षीय स्तर पर दिये गये आश्वासन पर ठोस कार्यवाही नही होने से समस्याएं जस की तस बनी हुई है । और चरणबद्ध आंदोलन किया जा रहा है । जिसमे प्रमुख मांग

01. गांव की भूमि का आंशिक अधिग्रहण पर रोक लगायी जाये जिन गांवों जैसे रलिया , भिलाई बाजार आदि का आंशिक अधिग्रहण किया गया है वहां पर सम्पूर्ण अधिग्रहण करने के उपरांत परिसम्पतियों का मूल्यांकन किया जाये ।

02. गांव के मूल निवासियों के शासकीय भूमि /वन भूमि पर निर्मित मकानों व परिसम्पतियों का 100% सोलोशियम और बसाहट की पात्रता दी जाये । प्रचलित नियम में यथा संशोधन की कार्यवाही किया जाये ।

03. वर्ष 2012 से पूर्व अधिग्रहण के मामलों में कोल इंडिया पालिसी को नीति विरुद्ध थोपकर रोजगार से वंचित किये गये सभी छोटे खातेदारों को तत्काल रोजगार प्रदान किया जाये । 

04. अर्जित गांव सहित प्रभावित क्षेत्र के मूल कृषक /भूविस्थापित परिवार के युवाओं और महिलाओं को रोजगार के वैकल्पिक व्यवस्था अंतर्गत ठेका कार्य की संख्या में वृद्धि किया जाये, आउट सोर्सिंग कंपनियों में 100% भर्ती तथा सीएसआर के तहत प्रशिक्षण सह आर्थिक सपोर्ट प्रदान किया जाये । स्वयं सहायता समूहों द्वारा आवेदित आवेदन पत्रों का समाधान किया जाये ।

05. रोजगार के पुराने मामलों का त्वरित निराकरण कर हितग्राहियों को रोजगार प्रदान किया जाये ।
आज के आंदोलन में आमगांव फेस का ब्रिजकुंवर अनसुइया राठौर , रलिया फेस का विजयपालसिंह तंवर , नरई बोध फेस का रुद्रदास महन्त , उमेन्दीभाटा का दिलहरण दास गोपाल बिंझवार के नेतृत्व में मानव शृंखला घेराबंदी किया गया जिसमें सैकड़ो की संख्या में भुविस्थापितों ने हिस्सा लिया