उज्जैन । धर्मधानी उज्जैन में रविवार को शास्त्रीय मान्यता अनुसार मकर संक्रांति पर्व मनाया जा रहा है। शुरुआत ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से हुई। तड़के चार बजे भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराया गया। बाद राजसी शृंगार कर तिल से बने पकवानों का भोग लगाकर आरती की गई। मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान चल रहा है। श्रद्धालु तीर्थ पर दान-पुण्य कर रहे हैं। शहर के प्रमुख मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ रहेगी। इधर, शनिवार को भी शहर में संक्रांति का उल्लास देखा गया। आस्थावानों ने शिप्रा के घाटों पर पर्व स्नान किया।
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भगवान महाकाल उज्जयिनी के राजा हैं, इसलिए प्रत्येक त्योहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाया जाता है। भगवान का स्नान के बाद भांग व सूखे मेवे से दिव्य शृंगार कर नवीन वस्त्र व सोने चांदी के आभूषण धारण कराए गए। भगवान को तिल से बने पकवानों का भोग लगाकर आरती की गई। चिंतामन गणेश, बड़ा गणेश आदि मंदिरों में भी मकर संक्रांति मनाई जा रही है।
सुबह छह बजे से पर्व स्नान आरंभ हुआ
मकर संक्रांति पर पर्व स्नान की मान्यता है। सुबह छह बजे से मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान की शुरुआत हो गई। देशभर से आने वाले श्रद्धालु शिप्रा नर्मदा के जल से स्नान कर दान-पुण्य कर रहे हैं। मकर संक्रांति पर तिल गुड़ के
लड्डू और चावल व मूंग की दाल की खिचड़ी दान करने का धार्मिक महत्व है। इस दिन गायों को घास और वैदिक ब्राह्मणों को वस्त्र व दक्षिणा भेंट करने का विधान है।
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