दान देने और लेने का पर्व है छेरछेरा….

डॉली सिंह कोरबा। छत्तीसगढ़ में पौस माह की पूर्णिमा तिथि को छेरछेरा का जो पर्व मनाया जाता है, वह अलग-अलग वर्ग के लोगों के द्वारा अलग-अलग मान्यताओं के अंतर्गत मनाया जाता है।
यहां के मूल निवासी वर्ग के लोग, जो गोंडवाना या कहें, आदिवासी संस्कृति को जीते हैं, वे इसे पौस पूर्णिमा के अवसर पर गोटुल/घोटुल की शिक्षा में पारंगत हो जाने के पश्चात् तीन दिनों का पर्व मनाते हैं। जबकि यहां के मैदानी भाग में निवासरत अन्य सामान्यजन खरीफ की फसल की लुवाई-मिसाई के पश्चात उल्लास के रूप में एक दिन का दान पर्व के रूप में मनाते हैं।
इन दोनों ही मान्यताओं से इतर मुझे अपने साधनाकाल में इसके आध्यात्मिक स्वरूप का जो.ज्ञान प्राप्त हुआ, उसके अनुसार यह पर्व महादेव द्वारा विवाह के पूर्व देवी पार्वती से परीक्षा लेने के निमित्त,उनके घर जाकर भिक्षा मांगने के प्रतीक स्वरूप मनाया जाने वाला पर्व है।

आप सभी को यह ज्ञात है कि पार्वती से विवाह पूर्व भोलेनाथ ने कई किस्म की परीक्षाएं ली थीं। उनमें से एक परीक्षा यह भी थी कि वे नट बनकर नाचते-गाते पार्वती के निवास पर भिक्षा मांगने गये थे, और स्वयं ही अपनी (शिव की) निंदा करने लगे थे, ताकि पार्वती उनसे (शिव से) विवाह करने के लिए इंकार कर दें।

छत्तीसगढ़ में जो छेरछेरा का पर्व मनाया जाता है, उसमें भी लोग नट बनकर नाचते-गाते हुए भिक्षा मांगने के लिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ के मैदानी भागों में तो अब नट बनकर (विभिन्न प्रकार के स्वांग रचकर) नाचते-गाते हुए भिक्षा मांगने जाने का चलन कम हो गया है, लेकिन यहां के बस्तर क्षेत्र में अब भी यह प्रथा बहुतायत में देखी जा सकती है। वहां बिना नट बने इस दिन कोई भी व्यक्ति भिक्षाटन नहीं करता।

ज्ञात रहे इस दिन यहां के बड़े-छोटे सभी लोग भिक्षाटन करते हैं, और इसे किसी भी प्रकार से छोटी नजरों से नहीं देखा जाता, अपितु इसे पर्व के रूप में देखा और माना जाता है। और लोग बड़े उत्साह के साथ बढ़चढ़ कर दान देते हैं। इस दिन कोई भी व्यक्ति किसी भी घर से खाली हाथ नहीं जाता। लोग आपस में ही दान लेते और देते हैं।

इस छेरछेरा पर्व के कारण यहां के कई गांवों में कई जनकल्याण के कार्य भी संपन्न हो जाते हैं। हम लोग जब मिडिल स्कूल में पढ़ते थे, तब हमारे गुरूजी पूरे स्कूल के बच्चों को बैंडबाजा के साथ गांव में भिक्षाटन करवाते थे, और उससे जो धन प्राप्त होता था, उससे बच्चों के खेलने के लिए और व्यायाम से संबंधित तमाम सामग्रियां लेते थे..।