प्रमोशन को लेकर आपस में भिड़े दो संघ, पदोन्नति आदेश को लेकर झूठ फैलाने का आरोप

रायगढ़,01 जनवरी  कृषि विभाग में दो कर्मचारी संघों बीच में टकराव हुआ। कृषि स्नातकों को 2021 में प्रमोशन देकर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से कृषि विकास अधिकारी बनाया गया था। इसके खिलाफ गैर कृषि स्नातक संघ ने हाईकोर्ट में अपील की थी। प्रमोशन के विरुद्ध कोई आदेश अदालत ने नहीं किया लेकिन भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। अब दोनों संघ आमने-सामने आ गए हैं। 

कृषि विभाग में 2008 के पहले नियुक्तियां ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर की गई थी। इसमें गैर कृषि स्नातकों की संख्या अधिक थी। कृषि स्नातकों की संख्या न के बराबर थी। इस वजह से काम प्रभावित होने लगा क्योंकि विभाग में सामग्रियों के गुणवत्ता नियंत्रण का अधिकार केवल एडीओ, एसएडीओ, एसडीओ और सहायक संचालक को ही है। यह नियम केंद्र सरकार ने ही अधिसूचित किया था। 29 मई 2021 को कृषि विभाग ने 235 कृषि स्नातक ग्रामीण कृषि विकास अधिकारियों को पदोन्नत कर एडीओ बनाया गया था। लेकिन इसके विरुद्ध गैर कृषि स्नातक अधिकारियों ने हाईकोर्ट में अपील की।

अदालत ने 2018 में बने पदोन्नति नियम को अल्ट्रावायर्स घोषित कर दिया लेकिन पदोन्नति के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। पूर्व में बने प्रमोशन नियम को बनाए रखने के लिए शासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। हाईकोर्ट ने पदोन्नति को लेकर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया है लेकिन गैर कृषि स्नातक अधिकारी संघ ने आदेश की गलत व्याख्या करते हुए प्रमोशन को खारिज करने की मांग की है। इसका विरोध करते हुए कृषि स्नातक संघ और छग तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

प्रमोशन के बाद वरिष्ठता सूची में स्थान नहीं

कृषि स्नातकों का कहना है कि अप्रैल 2022 में संचालनालय ने वरिष्ठता सूची का प्रकाशन किया था। इसमें 2021 में प्रमोट हुए कृषि स्नातक अधिकारियों के नाम गायब कर दिए। जबकि वे अधिकारी कृषि विकास अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। इसलिए आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]