दंतेवाड़ा, 20 दिसंबर । छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के तहत गौठान में पैरादान करने के लिए जिले में भी अभियान जारी है। किसान स्वयं आगे आकर पैरादान कर रहे हैं। पर्यावरण को स्वच्छ व सुरक्षित रखने के साथ ही पैरादान से गौठान में आने वाले पशुओं के लिए चारे की पर्याप्त उपलब्धता हो रही है।
कलेक्टर द्वारा किसानों से अपील की जा रही है कि वो खेतों में इसे जलाने की बजाय पैरा को गौठान समितियों को दान में दे। जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और मवेशियों को भी उचित मात्रा में चारे के रूप में पैरा मिल जाएगा। इसका सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। जिले के ग्राम चितालंका के किसान ने श्री वासुदेव सेठिया एवं श्री शंकर सिंह ने भी पैरा दान कर सहयोग दिया। जहां पहले खरीफ फसल की कटाई के बाद अधिकांश किसान पैरा को खेतों में ही जला देते हैं, जिसका वातावरण पर विपरीत असर पड़ता है। धुएं के कारण लोगों को काफी परेशानी होती है, वहीं खेतों में पराली जलाने से चारा नष्ट हो जाता है।
वासुदेव सेठिया कहते है कि चारे की तलाश में मवेशियों को भटकना न पड़े, इसलिए गौठानों में सूखा चारा की उपलब्धता सुनिश्चित करने किसानों को पैरादान के लिए आगे आने की जरूरत है। श्री शंकर सिंह बताते हैं कि खेत में पैरा को जलाने से धरती की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। किसानों से फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन कर खेतों और पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने की अपील करते हुए कहा कि फसल अवशेषों को जलाना नहीं चाहिए।
अब गौठानों में पैरादान से मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारे की व्यवस्था होने लगी है। इसी क्रम में ग्राम पंचायत नकुलनार में 15 से 20 क्विंटल पैरा-दान ग्रामीणों द्वारा स्वेच्छा से किया। हम कह सकते है, कि गौठान में पशुओं के लिए चारे की पर्याप्त व्यवस्था पूरे वर्ष बनी रहे इसके लिए मुख्यमंत्री की सकारात्मक सोच, दृष्टिकोण एवं प्रशासनिक अधिकारियों के प्रयास का ही सुखद परिणाम हैं कि अब जिले के गौठानों हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर विशेष महत्व देते हुए ग्रामीण अपने खरीफ की फसल के बाद धान कटाई से प्राप्त पैरा को जलाकर नष्ट नहीं करते हुए इसको वे पैरा-दान के तौर पर गौठानों में स्वेच्छा से दान कर रहे हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण में कमी आ रही है, साथ-साथ पशुओं के लिए गौठान में प्रचुर मात्रा में पैरा चारा उपलब्ध हो रहा है। ग्रामीणों का रुझान दर्शाता है, कि वे अपने पशुओं की देखभाल एवं गांव के विकास में सजग भागीदार हैं। योजना के इस बहुआयामी चरण में विभिन्न गौठान में पैरादान किया जा रहा है।
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