Liver Transplant के बिना मरीज को ठीक कर सकती है ये थेरेपी, जानें इसके बारे में…

लिवर हमारे शरीर का एक बेहद जरूरी अंग होता है। हमारे शरीर में मौजूद यह छोटा सा हिस्सा कई बड़े काम करता है। लिवर न सिर्फ शरीर के सभी संक्रमणों से लड़ने में सहायक होता है, बल्कि विषाक्त पदार्थों को भी शरीर से बाहर निकालता है। ऐसे में सेहतमंद रहने के लिए लिवर का स्वस्थ रहना भी काफी जरूरी है। लेकिन अक्सर हमारी लापरवाही या किसी खराब आदत की वजह से लिवर में कुछ परेशानी हो जाती है। कई बार यह दिक्कत इस हद तक बढ़ जाती है कि बात क्रॉनिक लिवर फेल्योर तक पहुंच जाती है। ऐसा ही कुछ बीते दिनों दिल्ली के शख्स के साथ हुआ।

दरअसल, पीलिया के लक्षण दिखाई देने के बाद इस व्यक्ति को दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां बाद में पता चला कि वह हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव है और लिवर फेल्योर का सामना कर रहा है। ऐसे में डॉक्टर्स ने पीड़ित को तुरंत लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी, लेकिन पीड़ित व्यक्ति के परिवार में कोई भी डोनर न होने की वजह से डॉक्टर ने प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी के जरिए न केवल मरीज का इलाज किया, बल्कि बिना लिवर ट्रांसप्लांट के उसकी जान भी बचा ली। इस मामले से सामने आने के बाद से ही हर कोई इस थेरेपी के बारे में जानने के लिए उत्सुक है। तो चलिए जानते हैं प्लाज्मा थेरेपी क्या है और ये कैसे काम करती है।

प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी क्या है

प्लाज्मा, खून का तरल हिस्सा होता है, जिसमें लाल और सफेद ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स होते हैं। प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी के तहत मरीज का प्लाज्मा निकालकर उसकी जगह कुछ अन्य तरल पदार्थ जैसे एफएपी और नॉर्मल लाइन का ट्रांसफ्यूजन किया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया मरीजों की स्थिति के अनुकूल की जाती है, ताकि मरीज के शरीर में मौजूद हानिकारक एंटीबॉडी निकल जाए।

ऐसे होती है प्रक्रिया

हमारे खून में मौजूद प्लाज्मा में कई सारे विषाक्त पदार्थ पाए जाते हैं, जो हमारे लिवर के लिए नुकसानदेय होते हैं। ऐसे में प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी यानी प्लेक्स के जरिए मरीज के शरीर से खून निकालकर मशीन में सेंट्रीफ्यूगेशन तकनीक के जरिए लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी), सफेद रक्त कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स को प्लाज्मा से अलग कर दिया जाता है। इसके बाद मरीज के शरीर से निकले इस प्लाज्मा को अलग कर दिया जाता है। इसके बाद शरीर से निकाले गए आरबीसी, डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स को ताजा प्लाज्मा और एल्ब्यूमिन के साथ मिलाकर यह खून फिर से मरीज को चढ़ा दिया जाता है।

इन बीमारियों के इलाज में मददगार है प्लेक्स

प्लेक्स यानी प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी के जरिए अन्य कई बीमारियों का इलाज भी संभव है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (ईटीपी) नामक बीमारी, जिसमें खून में सामान्य से कम प्लेटलेट्स बनते हैं, का भी प्लाज्मा थेरेपी से उपचार किया जाता है। इसके अलावा मायस्थेनिया ग्रेविस, गिलेनबारिए (न्यूरोलॉजिकल कंडिशन) को भी प्लाज्माथेरेपी से जरिए ट्रीट किया जा सकता है।