बिलासपुर,16 दिसम्बर। परिवार न्यायालय के फैसले के बाद भी पति द्वारा याचिकाकर्ता पत्नी को भरण पोषण के तहत एक निश्चित राशि देने में आनाकानी कर रहा था। लगातार कोशिशों के बाद भी पति फैसले का अवहेलना कर रहे थे तब परेशान पत्नी ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पति को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट का नोटिस मिलते ही अपने वकील के माध्यम से पत्नी के नाम चार लाख 48 हजार स्र्पये एकाउंटपेयी चेक कोर्ट में जमा करा दिया है।
बिलासपुर के टिकरापारा निवासी एक महिला ने अपने पति जो बीमा कंपनी में उप महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत हुए हैं। उनके खिलाफ याचिका दायर कर परिवार न्यायालय के फैसले का अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भरण-पोषण की राशि निर्धारित करने के बाद भी नहीं दे रहे हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि पति को सेवानिवृति के बाद पेंशन मिल रही है। याचिका के अनुसार मामले की सुनवाई के बाद परिवार न्यायालय ने प्रति महीने 14 हजार स्र्पये की राशि तय कर दिया था। वर्ष 2017 में परिवार न्यायालय ने यह फैसला सुनाया था। तब से लेकर आजतक उसे राशि नहीं मिली है। अब पति सेवानिवृत्त हो चुके हैं और पेंशनभोगी हैं।
याचिकाकर्ता ने बताया कि इस संबंध में वह दूसरी बार परिवार न्यायालय में मामला दायर किया था और इस बात की जानकारी दी थी। परिवार न्यायालय से गुहार भी लगाई थी कि पति को प्राप्त होने वाली पेंशन से राशि दिलाई जाए। जिससे उसकी आजीविका चल सके। परिवार न्यायालय से भी जब किसी तरह की कोई राहत नहीं मिली तब अपने वकील के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता ने बताया कि परिवार न्यायालय में दोबारा मामला दायर करने के बाद जब न्यायालय ने नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा वे कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं।
भरण-पोषण के तहत एक निश्चित राशि भी नहीं दे रहे हैं। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने परिवार न्यायालय से संपूर्ण दस्तावेज मंगाने के साथ ही याचिकाकर्ता के पति को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के पति की ओर से उनके वकील उपस्थित हुए और कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के नाम का चार लाख 48 हजार स्र्पये का एकाउंट पेयी चेक जमा किया। कोर्ट ने चेक याचिकाकर्ता को देने के निर्देश दिए। इसके साथ ही डिवीजन बेंच ने याचिका को निराकृत कर दिया है।
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