मंडी में टमाटर की दामों पर भारी गिरावट, किसान कम मूल्य पे बेचने को है मजबूर

जशपुर। जिले के टमाटर मंडी टमाटर की दामों में भारी गिरावट देखने को मिल रहा है आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में जशपुर जिले के पत्थलगांव लुड़ेग को टमाटर की राजधानी के नाम से जाना जाता है। टमाटर की राजधानी कहे जाने वाले लुड़ेग से देश के कई राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र तक जशपुर जिले का टमाटर अन्य राज्य जाता है। पर इस बार बाहरी प्रदेश के व्यापारी इन दिनों टमाटर की राजधानी लुड़ेग के टमाटर बाजार में नजर नही आ रहे यही कारण है कि बाहरी व्यापारी नही आने से इन दिनों टमाटर की खेती को लेकर किसान बेहद परेशान हैं साथ ही साथ किसानों का कहना है कि इस वर्ष सितंबर माह में भारी बारिश होने की वजह से पहले की गई टमाटर की खेती पूरी तरह से बरसात में बारिश के कारण गल गई थी। वही कुछ किसानों के बचे हुए टमाटर की फसल अब जाकर निकल रहे हैं पर टमाटर मंडी में टमाटर भाव की भारी गिरावट के कारण अब किसान टमाटर को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हो गए हैं । बाजार में भाव का आलम यह है कि उनकी टमाटर की खेती में जो लागत लगी थी वह भी नहीं निकल पा रहा है। इधर किसान बाजार में ₹100 से ₹120 प्रति कैरेट की दर पर किसान अपने टमाटर को व्यापारियों के पास बेच रहे हैं। जशपुर जिले की बात करें तो ज्यादातर पत्थलगांव लुड़ेग, चिकनीपानी, बागबहार, छतासराई, झिमकी जैसे इलाके ऐसे हैं जहां किसान कई एकड़ में टमाटर की खेती करते हैं पर इस वर्ष टमाटर का बाजार मूल्य नहीं होने के कारण इस बार कम दामों में टमाटर को बेचने को किसान मजबूर हैं। सड़कों पर टमाटर फेंककर किसानों ने सरकार का विरोध भी किया है।

यही कारण है कि इस वर्ष उनको बेहतर ढंग से टमाटर में लाभ नहीं मिल पाया है किसानाे के टमाटर की खेती में लगे लागत के रकम भी नहीं निकल पा रहा हैं बाजार में टमाटर की कम कीमत के कारण टमाटर की राजधानी कहे जाने वाले इलाकों में किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती थी वही इस वर्ष किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के बजाय बिगड़ता हुआ दिखाई दें रहा है. किसान तो परेशान है ही साथ ही साथ इस बार बाहर से आने वाले टमाटर व्यापारी भी टमाटर की खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं टमाटर की बाजार भाव कम होने के कारण उन्हें भी बाजार में घाटा होता हुआ दिख रहा है बहरहाल टमाटर की राजधानी टमाटर का मूल्य गिर जाना कहीं ना कहीं किसानों के साथ-साथ टमाटर व्यापारियों के चेहरे पर भी मुस्कान के जगह मायूसी देखा जा रहा है एक समय ऐसा आया हुआ था कि जब किसान टमाटर की बाजार मूल्य में भारी गिरावट को देखते हुए अपने लागत मूल्य नहीं मिलने की वजह से क्षेत्र के कई किसान परेशान होकर लाखों क्विंटल टमाटर को नेशनल हाईवे 43 पर फेंक दिया गया था उस समय विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया था. विधानसभा में किसानों को हुए नुकसान का मामला विधानसभा तक पहुंच गया था।