भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की दिशा में कदम बढ़ाया

नई दिल्ली । केंद्रीय विद्युत और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली योजना की शुरुआत की। ऊर्जा राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री भगवंत खुबा, विद्युत सचिव आलोक कुमार और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद, और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में संयुक्त सचिव अजय यादव उपस्थित थे।

केंद्रीय ऊर्जा और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने नई दिल्ली में वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली योजना की शुरुआत की। भारत दुनिया में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमताओं के विकास की सबसे तेज वृद्धि दर के साथ ऊर्जा परिवर्तन में दुनिया के नेतृत्व करने वालों में से एक के रूप में उभरा है। भारत की ऊर्जा परिवर्तन में बड़ी महत्वाकांक्षाएं हैं और वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली क्षमता स्थापित करने की योजना है, ताकि स्वच्छ ईंधन में वर्ष 2030 तक स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत हिस्सा शामिल हो।

देश में वर्तमान में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 409 गीगा वॉट है जिसमें गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 173 गीगा वॉट क्षमता शामिल है, जो कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 42 प्रतिशत है। वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली उत्पादन के लिए, एक मजबूत पारेषण प्रणाली को पहले से स्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि पवन और सौर ऊर्जा आधारित उत्पादन परियोजनाओं की निर्माण अवधि संबद्ध पारेषण प्रणाली की तुलना में बहुत कम है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक व्यापक योजना को अंतिम रूप दिया गया है।