पार्थिव शरीर को ससम्मान घर पहुंचाने में सक्रिय है ‘मुक्तांजलि’

अस्पतालों से शव को घर तक पहुंचाने के लिए सरकार की टोल फ्री – 1099 निःशुल्क योजना

2018 से नवंबर 2022 तक 1.56 लाख से अधिक पार्थिव शरीर को ससम्मान दी गई सेवा


रायपुर, 5 दिसंबर । अस्पताल से घर तक मृतक के पार्थिव शरीर को ससम्मान ले जाना परिजनों के लिए मुश्किल और खर्चीला होता है। ऐसी स्थिति में संवेदनशीलता का परिचय देते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी अस्पतालों से मृतक के पार्थिव शरीर को घर तक पहुंचाने के लिए “मुक्तांजलि” निःशुल्क शव वाहन सेवा टोल फ्री नंबर-1099 उपलब्ध कराई गई है।
‘मुक्तांजलि’ निःशुल्क योजना के तहत अब तक (2018 से नवंबर 2022 तक) कुल 1.56 लाख से अधिक मृतकों को ससम्मान उनके घर तक पहुंचाया गया है। साथ ही निरंतर ही 114 वाहनों के जरिए निःशुल्क सेवा का लाभ जरूरतमंदों को दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है।


कोवि़ड महामारी के दौरान जब व्यक्ति अपने प्रिय कोविड संक्रमितों का शव लेने में भी असहज महसूस कर रहे थे, उस दौरान भी दिन-रात सेवा दी गई। कोवि़ड संक्रमितों के पार्थिव शरीर को ससम्मान परिजनों द्वारा बताए गए गंतव्य तक पहुंचाया गया। इस संबंध में ‘मुक्तांजलि’ निःशुल्क शव वाहन सेवा, राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने बताया: “जरुरतमंदों के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 1099 निःशुल्क मुक्तांजलि शव वाहन सेवा उपलब्ध है। लोग टोलफ्री नंबर 1099 पर कॉल कर या टोलफ्री नंबर 104 पर कॉलकर उपरोक्त सेवा का लाभ लेकर ससम्मान अपने प्रियजन के पार्थिव शरीर को घर तक ले जा सकते हैं।“

चालू वित्तीय वर्ष में 35,000 से अधिक लोगों को लाभ- सरकारी टोल फ्री “1099 मुक्तांजलि एंबुलेंस सेवा” का संचालन करने वाली संस्था ‘कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटीवेशन प्रोग्राम’ (सीएएमपी)‘कैंप’ छत्तीसगढ़ की प्रमुख प्रियंका द्विवेदी ने बताया: “सरकार की ओर से शव को सरकारी अस्पतालों से घर तक पहुंचाने के लिए टोल फ्री 1099 मुक्तांजलि शव वाहन सेवा उपलब्ध है। 2018 से 30 नवंबर 2022 तक कुल 1,56,697 लोगों को ‘मुक्तांजलि’ सेवा के जरिए लाभ पहुंचाया गया है। चालू वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल 2022 से 30 नवंबर 2022 तक) कुल 35, 513 मृतकों के शव को ससम्मान उनके घरों तक पहुंचाया गया है। “ मुक्तांजलि सेवा ने दी राहत- रायपुर निवासी सुधा साहू (परिवर्तित नाम) ने बताया: “चाचाजी का इलाज अम्बेडकर अस्पताल में चल रहा था। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परिवारवालों ने चाचाजी का अंतिम संस्कार गृहग्राम अंबिकापुर में कराना चाहा। निजी वाहन से संपर्क करने पर उन्होंने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बहुत राशि मांगी, जिसे देने में हम असमर्थ थे। तब किसी ने हमें ‘मुक्तांजलि निःशुल्क शव वाहन सेवा’ के बारे में बताया। टोलफ्री नंबर 1099 पर कॉल कर हमें एंबुलेंस उपलब्ध हुआ और निःशुल्क गृहग्राम चाचाजी का पार्थिव शरीर हम आसानी से लेकर पहुंच सके।“ इसी तरह रायगढ़ निवासी सुकांत सिंह ( परिवर्तित नाम) ने बताया: “परिजन का सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। जिसके बाद हमने मुक्तांजलि निःशुल्क शव वाहन सेवा (टोलफ्री नंबर 1099 ) से संपर्क किया और फौरन ही एंबुलेंस उपलब्ध हो गया। इससे हमें बहुत राहत मिली और मृतक के शव को घर तक लाने में सुविधा हुई।“


इन्हें मिलता है योजना का लाभ- कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशन प्रोग्राम “कैम्प”की प्रमुख प्रियंका द्विवेदी ने बताया “टोलफ्री 1099 मुक्तांजलि एम्बुलेंस सेवा योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के शासकीय चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेजों से मृतक के पार्थिव शरीर एवं उसके दुखित परिजन को उसके निवास स्थान अथवा शमशान तक ससम्मान निःशुल्क पहुचाया जाता है | इतना ही नहीं यदि मृतक किसी दूसरे राज्य का निवासी हो एवं छत्तीसगढ़ राज्य के किसी शासकीय चिकित्सालय में उसकी मृत्यु हुई हो, उन्हें भी उनके निवास स्थान तक पहुचाया जाता है|”

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