फाइलेरिया उन्मूलन पर हुआ एक दिवसीय प्रशिक्षण

रायपुर 24 नवंबर । समुदाय को फाइलेरिया मुक्त करने के उद्देश्य से जिला फाइलेरिया उन्मूलन विभाग के द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में आगामी योजनाओं और कार्य प्रणालियों के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का उद्देश्य जिले में समुदाय को फाइलेरिया से मुक्ति दिलाना है और जिले को फाइलेरिया मुक्त करना है। प्रशिक्षण का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश चौधरी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।

इस सम्बन्ध में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ.विमल किशोर राय ने बताया: ‘’इस प्रशिक्षण का उद्देश्य आगामी पीढ़ी को फाइलेरिया मुक्त बनाना है। उन्होंने कहा लिंफेटिक फाइलेरिया एक परजीवी के द्वारा होने वाला रोग है, लिंफेटिक फाइलेरियासिस वाउचेरिया ब्रेक पटाई तथा ब्रुगिया मलाई नामक निमेटोड के कारण होता है। नर एवं मादा परजीवी मनुष्य के लिंफ नोड में रहते हैं, जहां पर मादा हजारों की संख्या में माइक्रोफाइलेरिया उत्पन्न करती है। फाईलेरिएसिस के दौरान शुरुआत में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।

लेकिन परजीवी द्वारा मनुष्य के लिंफेटिक सिस्टम को धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त कर देता है। शुरुआत में कोई लक्षण दिखाई ना देने के कारण मनुष्य के रक्त में माइक्रोफाइलेरिया है या नहीं इसका पता नहीं चल पाता है। इसके लिए मनुष्य में पेरीफेरल रक्त की रात के 8:00 बजे के बाद रक्त पट्टी बनाकर, रक्त की जांच की जाती है, उसके बाद ही पता चल सकता है। किसी मनुष्य के माइक्रोफाइलेरिया से संक्रमित होने के बाद शुरुआत में बुखार तथा प्रभावित शरीर के भाग का लालिमा युक्त होना, प्रारंभिक लक्षण में आता है। वहीं 6 से 8 वर्ष के बाद प्रभावित भाग में सूजन आना शुरू होता है। यह सूजन लिम्फ नोड के आकार में वृद्धि होने के कारण होता है। गंभीर हाथी पांव रोगी की सूजन कम नहीं हो सकती क्योंकि मरीज का लिंफेटिक तंत्र क्षतिग्रस्त हो चुका रहता है।“

आगामी समय में फाइलेरिया उन्मूलन के लिये आयोजित होने वाले सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) और अन्य योजनाओं और कार्य प्रणालियों के सफल क्रियान्वयन के लिये प्रशिक्षण में सेक्टर सुपरवाइजर के साथ ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के 70 पर्यवेक्षक उपस्थित हुए। जिला मलेरिया अधिकारी रायपुर डॉ. विमल किशोर राय और एनी लोग उपस्थित रहे।

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