दुर्ग ,18 नवंबर। भुईंया सॉफ्टवेयर की वजह से किसानों का भू-अभिलेख रिकॉर्ड खतरे में पड़ गया है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र ने जो भुईंया वेब पोर्टल का नया वर्जन तैयार किया है, वह पुराने सॉफ्टवेयर से रकबा, खसरा और नक्शा जैसी कीमती रिकॉर्ड का बैकअप ही नहीं ले रहा है। इस वजह से रिकॉर्ड भी आसानी से अपडेट नहीं हो रहा है। आये दिन सर्वर डाउन रहता है।
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कई बार के प्रयास से पोर्टल पर यदि डाटा अपडेट भी हो गया तो कागज पर भू-मापन का क्रमांक,क्षेत्रफल,कब्जेदार का नाम, उसके पिता का नाम, निवास स्थान, लगान, फसल का नाम, फसल का क्षेत्रफल, कैफियत जैसे आंकड़े प्रिंट नहीं होता। पोर्टल पर भी दिखलाई नहीं देता। इस वजह से किसान रिकॉर्ड गायब होने की आशंका जता रहे हैं। इन दिनों धान बेचने के लिए किसानों को अभिलेख की जरूरत है जो भुइँया पोर्टल न चलने के कारण नहीं मिल पा रहा है।
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