अधिकारी बने ठेकेदार, मामला विद्युत वितरण विभाग का

खंबा बेचने और कमीशनखोरी मामला सलटा नही एक नई खबर की जानकारी हाथ लग गई ,कि किस प्रकार से अधिकारी विभाग के साथ ठेकेदरों से जानकारी लेकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है औऱ ठेकेदार मूकदर्शक बना हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार यदि किसी उपभोक्ता को अपना काम जल्दी करना है तो विद्युत वितरण विभाग में 15% सुपरविजन में काम करने की सुविधा है जिसमे उपभोक्ता टेंडर प्रक्रिया में ना जाकर अपना काम जल्द करने के लिए किसी भी ठेकेदार से संपर्क कर विद्युत वितरण विभाग को नियमानुसार एक रकम जमा कर कार्य करा सकता है पर मज़े की बात यह है कि उसमें भी ई ई लेबल के अधिकारी कुंडली मार कर बैठे है।

जैसे ही कोई अपने चीर परिचित उपभोक्ता की फाइल अधिकारी के समक्ष रखता है अधिकारी ठेकेदार को बाईपास कर खुद ठेकेदार बन मलाई काटता नज़र आने लगता है जब से वितरण विभाग में  नए ई ई की पोस्टिंग हुई है तब से विद्युत विभाग में लगभग सुपरविजन के कार्य में विभागीय आधिकारियों का हस्तक्षेप बढ़ गया सा लगता है। जिससे ये कहावत चरितार्थ होती है कि मेहनत करे मुर्गी औऱ अण्डा खाये फ़क़ीर। छः माह बीत जाने के बाद भी किसी ठेकेदार को सुपरविजन का कार्य नही मिला और जो मिला भी तो ठेकेदार फाइल लिए घूमता रहा औऱ काम उसके नाक के नीचे से निकल गया क्योंकि इसमें  फाइल पास करने वाला अधिकारी सीधे उपभोगता से संपर्क कर काम को इस्टीमेट अमाउंट से कम में अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को बिना बताए करा लें रहा है।

खास तौर पर आई. पी. कनेक्शन के उपभोगता जैसे राईस मिल,इंडस्ट्री,औऱ उच्चदाब के कंज्यूमर जिनसे काम करने के एवज में मोटी रकम अन्दर की जाती है और काम के नाम पर काम करने वाले लाइन मेन को सिर्फ झुनझुना थमा दिया जाता है । बात यही खत्म नही होती अधिकारी सुपरविजन में काम करने का एक्स्ट्रा मुनाफा भी कमा लेता है मतलब आम के आम औऱ गुठलियों के दाम वाली कहावत इन्ही अधिकारियों के लिये लागू होती है। ये काम खास तौर पर तुलसी नगर ज़ोन, पाडिमार जोन के साथ ग्रमीण क्षेत्र में संचालित इंड्रस्ट्री,राईस मिल संचालक के साथ किया जाता है काम एक नबर में तो किया जाता है पर ठेकेदार पर दबाव बना उनसे उनका लाइसेंस और सहमति पत्र ले कर विभागीय कर्मचारियों को झोंक कर चांदी काट लिया जाता है।बहरहाल ठेकेदार मूकदर्शक बन अधिकारियों के काल जादू का शिकार होता जा रहता है।