वाशिंगटन/नई दिल्ली ,13 नवंबर। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से बाहर निकाल दिया है। विभाग ने अन्य जिन देशों को इस सूची से बाहर निकाला है, उनमें इटली, मैक्सिको, वियतनाम और थाईलैंड शामिल हैं। ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस को अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान अभी भी वर्तमान निगरानी सूची का हिस्सा हैं।
बता दें कि ट्रेजरी ने प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की एक निगरानी सूची स्थापित की है, जो उनकी मुद्रा प्रथाओं और व्यापक आर्थिक नीतियों पर ध्यान देने योग्य हैं। अमेरिका ने ये कदम तब उठाया है, जब ट्रेजरी के सचिव जेनेट येलेन ने भारत का दौरा किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बातचीत की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 के अधिनियम में तीन मानदंडों में से दो को पूरा करने वाली अर्थव्यवस्था को निगरानी सूची में रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “एक बार निगरानी सूची में एक अर्थव्यवस्था कम से कम दो लगातार रिपोर्टों के लिए बनी रहेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रदर्शन बनाम मानदंड में कोई भी सुधार टिकाऊ है और अस्थायी कारकों के कारण नहीं है।’ ट्रेजरी निगरानी सूची में किसी भी प्रमुख अमेरिकी व्यापारिक भागीदार को जोड़ेगी और बनाए रखेगी, जो कुल अमेरिकी व्यापार घाटे के एक बड़े और अनुपातहीन हिस्से के लिए जिम्मेदार है, भले ही वह अर्थव्यवस्था 2015 के अधिनियम के तीन मानदंडों में से दो को पूरा नहीं करती है।
अमेरिकी ट्रेजरी ने कहा, ‘निगरानी सूची में चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान शामिल हैं। इटली, भारत, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को इस रिपोर्ट में निगरानी सूची से हटा दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में चीन की विफलता और इसकी विनिमय दर तंत्र की प्रमुख विशेषताओं के आसपास पारदर्शिता की व्यापक कमी इसे प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक बाहरी बनाती है और ट्रेजरी की करीबी निगरानी की गारंटी देती है।
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