विश्व में व्याप्त घोर निराशा के वातावरण के बीच भारत आशा जगाने वाला एक स्थान: पीयूष गोयल

मुंबई ,09 नवंबर। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अहिंसा विश्व भारती के राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। यह सम्मेलन मुंबई में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में, केन्द्रीय मंत्री ने विश्वगुरु बनने के भारत के मिशन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, आचार्य डॉ.लोकेश मुनि और अहिंसा विश्व भारती के अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि संत और ऋषि किसी व्यक्ति के भीतर ऐसी चिंगारी को प्रज्वलित करते हैं जिससे उसके कार्यों की आभा का बढ़ना संभव हो जाता है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमें कभी-कभी अपने कर्तव्यों की याद दिलाने की जरूरत होती है और संत यही काम करते हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को कर्मकांडों की दुनिया में उलझे बिना धर्म को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़ने की जरूरत है और डॉ. लोकेश जैसे आचार्य इसी आदर्श को साकार करते हैं।

देश के विश्वगुरु बनने के मिशन के बारे में बोलते हुए, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हर घर तिरंगा जैसे कार्यक्रमों की अभूतपूर्व सफलता का हवाला दिया जिसमें शायद ही कोई ऐसा घर था जहां राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया हो। विश्व में व्याप्त घोर निराशा के वातावरण के बीच भारत को आशा जगाने वाला एक स्‍थान बताते हुए, उन्‍होंने कहा कि प्रत्‍येक भारतीय देश की प्रगति का साक्षी है। केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पंच प्रण में देशवासियों से औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने और अपने पारिवारिक मूल्यों, विरासत एवं आदर्शों का पालन करते हुए अपनी जड़ों की ओर वापस लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के पंच प्रण हमारे दैनिक जीवन में भी हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

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केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि समाज का ध्यान रखने की जैन धर्म की शिक्षा देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपना संबोधन समाप्त करते हुए कहा कि अगर भारत के नागरिक यह तय कर लें कि भारत को विश्वगुरु बनाना है, तो दुनिया की कोई भी ताकत इसे रोक नहीं सकती।