सूचना और प्रसारण सचिव ने पीआईबी अनुसंधान विंग के कामकाज की समीक्षा की

नई दिल्ली ,29 अक्टूबर। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा और पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक सत्येंद्र प्रकाश ने पीआईबी की अनुसंधान विंग का पहला वर्ष पूरा होने पर उसके कामकाज की समीक्षा की। इस अनुसंधान विंग की स्थापना इसलिए की गई थी क्योंकि सरकार के संचार को संदर्भ सरीखी गुणवत्ता की शोध सामग्री के समर्थन की आवश्यकता लंबे वक्त से महसूस की जा रही थी ताकि मीडिया के समक्ष सरकार के निर्णयों और नीतियों का पूरा परिप्रेक्ष्य दिया जा सके।

अक्टूबर 2021 में अपनी यात्रा शुरू करने वाली ये अनुसंधान विंग सरकार की पहलों पर तथ्य आधारित और अच्छे से शोध की गई सामग्री तैयार करती है ताकि मीडिया और लोगों के बीच पीआईबी और अन्य आधिकारिक चैनलों के माध्यम से सूचना प्रसार को मजबूत किया जा सके। इस विंग ने अपनी स्थापना के बाद से एक्सप्लेनर, फैक्टशीट, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों, फीचर आदि के रूप में लगभग 450 दस्तावेज़ तैयार किए हैं जिन्हें विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों में बहुत अच्छा प्रतिसाद मिला है।

श्री चंद्रा ने इस अनुसंधान विंग द्वारा अपने सदस्यों के लिए आयोजित एक दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए सचिव महोदय ने जनता तक बेहतर पहुंच बनाने और सरकारी कार्यक्रमों तथा नीतियों के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में संचार के लिए कॉन्टेंट बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं में योगदान के लिए टीम को बधाई दी जिनके परिणाम दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने निकट भविष्य में इस काम को और समृद्ध बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य जानकारी दी। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विक्रम सहाय और भारतीय सूचना सेवा के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

सचिव महोदय ने कहा कि इस अनुसंधान विंग का गठन पिछले एक साल में सूचना और प्रसारण मंत्रालय की सबसे महत्वपूर्ण नई पहलों में से एक रहा है और इसने सरकारी संचार के क्षेत्र में अपने लिए सफलतापूर्वक एक जगह बनाई है। इस कार्यशाला के दोपहर के दो सत्र अनुसंधान विंग टीम की क्षमताओं के निर्माण पर केंद्रित थे, जिन्हें ऐसे नए उपकरणों और कॉन्सेप्ट से परिचित कराया गया जो उनके कॉन्टेंट में खूब मूल्य जोड़ सकते हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) में प्रोफेसर डॉ. अनुभूति यादव ने ‘विजुअल कम्युनिकेशन: टूल्स एंड स्किल्स’ विषय पर एक सत्र को संबोधित किया, जहां उन्होंने प्रतिभागियों को विविध प्रकार के उपकरणों से परिचित कराया जो शोध दस्तावेजों की विजुअल अपील को बढ़ा सकते हैं और उन्हें लक्षित दर्शकों के बीच और ज्यादा आकर्षक बना सकते हैं। इन प्रतिभागियों को ‘संचार अनुसंधान: पद्धति और उपकरण’ विषय पर एक सत्र भी करवाया गया जहां आईआईएमसी की प्रोफेसर डॉ. शाश्वती गोस्वामी और आईआईएमसी की रिसर्च अधिकारी सुश्री अनन्या रॉय ने संचार अनुसंधान की बारीकियों के बारे में उन्हें बताया।