कोरबा जिले के ग्राम मुढ़ाली में रहने वाले संतोष महंत ने पत्नी की मौत के बाद मृत शरीर का दान कर दिया है। देहदान के इस फैसले की लोग सराहना कर रहे हैं। लोगों ने कहा कि इसके लिए भी मजबूत दिल चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे अन्य लोगों को भी देहदान की प्रेरणा मिलेगी।
हरदी बाजार इलाके के ग्राम मुढ़ाली के रहने वाले संतोष दास महंत की पत्नी संतोषी महंत लंबे समय से बीमार चल रही थी। उनकी दोनों किडनियां खराब थीं। संतोषी का इलाज बिलासपुर सिम्स में चल रहा था। बुधवार को उसकी मौत हो गई। जिसके बाद पति संतोष दास महंत और उनके दोनों बेटों ने मां के देहदान का फैसला लिया। संतोष महंत ने पत्नी का पार्थिव शरीर बिलासपुर सिम्स अस्पताल प्रबंधन को दान कर दिया है, ताकि मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र अपनी रिसर्च कर सकें।
पत्नी की मौत से आहत संतोष ने कहा कि ये फैसला लेना उनके लिए कठिन था, लेकिन समाज के लोगों के हौसला देने पर वे इसके लिए मान गए। इससे मेडिकल स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई में सहयोग मिलेगा। संतोष खेती करते हैं। उनके दो बेटे हैं, जिनकी उम्र 22 और 20 वर्ष है। देहदान के इस फैसले से अन्य लोगों को भी इसकी प्रेरणा मिलेगी।
मृत मानव शरीर पर मेडिकल स्टूडेंट्स करते हैं प्रैक्टिकल
चिकित्सा जगत के लिए मृतदेह अमूल्य है, सिर्फ जनरल पढ़ाई-लिखाई ही नहीं, आगे के शोध और जटिल ऑपरेशन में दिग्गज सर्जंस के लिए भी यह देह रोशनी का काम कर कई जिंदगियां बचाती है। एक डेड बॉडी से मेडिकल कॉलेज के 10 से 12 छात्रों को पढ़ाया जाता है। देश में ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जब डॉक्टरों ने डेड बॉडी पर प्रैक्टिकल कर जटिल ऑपरेशन को भी सफल कर दिखाया है। इससे कई रोगियों की जान बचाने में मदद मिली है। मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर बनने वाले प्रत्येक छात्र मानव शरीर को अंदर से देखकर ही प्रैक्टिकल सीखते हैं।
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