सूर्य ग्रहण ने बदली गोवर्धन पूजा की तारीख:मंदिरों के नहीं खुलेंगे पट, ग्रहण काल के बाद होगा स्नान, दान, फिर करेंगे महालक्ष्मी का विसर्जन 

रायपुर। लंबे अरसे बाद इस बार दिवाली और गोवर्धन पूजा के साथ सूर्य ग्रहण का संयोग बना है। ऐसे में दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला पर्व गोवर्धन पूजा अब बुधवार को होगा। वहीं, सूर्यग्रहण का सूतककाल लगने के कारण घरों के साथ ही मंदिरों में पूजा-पाठ वर्जित रहेगा। लिहाजा, ग्रहणकाल के बाद ही शाम को घरों में विराजित महालक्ष्मी देवी का विसर्जन किया जाएगा।

सूर्य ग्रहण का सूतक, ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। भारत में सूर्य ग्रहण शाम 4 बजे से दिखाई देगा। ऐसे में इसका सूतक काल सुबह 4 बजे से ही शुरू हो गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य और पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। इस स्थिति में गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर के बजाए 26 अक्टूबर को होगी।

सुबह 4 बजे गृहणियों ने की पूजा, ज्यादातर लोग ग्रहण के बाद करेंगे लक्ष्मी देवी का विसर्जन
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार दिवाली पर्व से पहले ही धनतेरस से ही महालक्ष्मी देवी स्थापित कर पूजा अर्चना करने का विधान है। तीन दिनों तक चतुर्दशी और अमावस्या के साथ ही चौथे दिन गोवर्धन पूजा तक महालक्ष्मी देवी घरों में विराजित रहती हैं। लेकिन, इस बार सोमवार को दिवाली पर्व के बाद मंगलवार सुबह 4 बजे से सूतक काल शुरू हो गया है। ऐसे में शहर में कुछ गृहणियों ने सुबह 4 बजे से ही पूजा-अर्चना कर महालक्ष्मी देवी की चौकी हटाकर विसर्जन कर लिया। वहीं, ज्यादातर घरों में शाम को ग्रहणकाल समाप्त होने पर स्नान, दान के बाद चौकी लक्ष्मी देवी की चौकी हटाई जाएगी।

मंदिरों के नहीं खुलेंगे पट- दिन भर चलेगा भजन-कीर्तन
मंगलवार की सुबह सूतककाल की वजह से पूरे दिन शहर के मंदिरों के भी पट बंद रहेंगे। मंदिरों में सुबह 4 बजे सूतक लगने से पहले ही देवी-देवताओं की पूजा की गई और पट बंद कर दिया गया। मंदिरों में पूरे दिन भजन-कीर्तन होगा। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद शाम को विशेष पूजा आराधना की जाएगी।

शाम 6.20 बजे समाप्त होगा ग्रहण काल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार को लगेगा। यह सूर्य ग्रहण आंशिक होगा। सूर्य ग्रहण शाम चार बजे से दिखाई देगा और 5.42 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रहण का मोक्ष काल शाम 6.20 बजे के बाद होगा। इसके बाद ही लोग स्नान, दान और पूजा-पाठ कर सकेंगे।

25 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है। ये आंशिक ग्रहण है और देश में कई जगहों पर दिखेगा भी। इस वजह से दिवाली की गोवर्धन पूजा एक दिन टल गई है। ये धार्मिक नजरिये से भी खास रहेगा। इससे पहले 30 अप्रैल को सूर्य ग्रहण हुआ था, लेकिन वो देश में नहीं दिखा। खगोल वैज्ञानिक के मुताबिक भारत से दिखाई देने वाला अगला बड़ा सूर्य ग्रहण 21 मई 2031 को होगा। जो कि वलयाकार ग्रहण रहेगा। इसके तीन साल बाद 20 मार्च, 2034 को पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत से दिखेगा।

बिड़ला तारामंडल, कोलकाता के खगोल वैज्ञानिक देवी प्रसाद दुआरी के बताते हैं कि ये ग्रहण देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में बेहतर ढंग से दिखेगा। वहीं, देश के पूर्वी हिस्सों में ये नहीं दिख पाएगा, क्योंकि उन जगहों पर सूर्यास्त हो चुका होगा। इसके अलावा यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों में भी ये आकाशीय घटना दिखेगी।

श्रीनगर, जम्मू और जलंधर में अच्छे से दिखेगा
ये ग्रहण शाम 4.30 पर अपने चरम पर रहेगा। इस वक्त देश में दिखना शुरू हो जाएगा। भारत में लेह, लद्दाख, जम्मू, श्रीनगर, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश में ये ग्रहण दिखेगा। इनमें श्रीनगर, जम्मू, जलंधर, अमृतसर, चंडीगढ़, देहरादून, हरिद्वार और शिमला में ज्यादा साफ दिखाई देगा।

तमिलनाडु, कर्नाटक, मुंबई, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, बंगाल और बिहार में कुछ ही देर के लिए और ठीक से भी नहीं दिखेगा। वहीं, असम, अरुणाचल, मणिपुर, नागालैंड में ये ग्रहण बिल्कुल नहीं दिखेगा।