कोरबा 22 अक्टूबर । राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बालको संयंत्र विस्तार परियोजना में बालको क्षेत्र एवं कोरबा जिले के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मुहैया न कराए जाने, उनकी उपेक्षा करते हुए बाहर से लोगों को लाकर भर्ती करने के मुद्दे पर बालको सी.ई.ओ. अभिजीत पति को कड़ी फटकार लगाते हुए पत्र लिखा है। श्री अग्रवाल ने बालको सी.ई.ओ. को लिखे पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा है कि बालको प्रबंधन द्वारा संयंत्र विस्तार परियोजना के लिए, आयोजित हुई जनसुनवाई के दौरान स्थानीय स्तर पर कई सुविधाओं के विस्तार संबंधी बालको प्रबंधन द्वारा अनेक वायदे किए गए थे जिनमें स्थानीय बेरोजगार युवक-युवतियों को योग्यतानुसार रोजगार उपलब्ध कराने का वायदा प्रमुख था। इस बात पर नाराजगी व्यक्त करते हुए राजस्व मंत्री ने लिखा है कि इस संबंध में किए गए वायदे को दरकिनार करते हुए व्यापक पैमाने पर जरूरतमंद स्थानीय बेरोजगार युवकों को उनके योग्यतानुसार कार्य उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जबकि बालको में कार्यरत ऐसी अनेक ठेका कंपनियां हैं जिनके यहां अनेक पदों के लिए स्थान रिक्त हैं लेकिन इन कंपनियों में स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के बजाए बाहर से लोगों को लाकर रिक्तियों की पूर्ति की जा रही है। तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञों की तो बात अलग है, सामान्य से और छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी स्थानीय बेरोजगारों की उपेक्षा करते हुए बाहरी लोगों को कार्य पर लगाया जा रहा है। मंत्री श्री अग्रवाल ने बालको प्रबंधन को याद दिलाया है कि जनसुनवाई के दौरान उसे व्यापक पैमाने पर जनाक्रोश का सामना होने की संभावना को देखते हुए जन सुनवाई शांतिपूर्वक सम्पन्न कराने के लिए प्रबंधन के अनुरोध कोे इस शर्त पर मानते हुए आम नागरिकों को समझाईश दी गई थी, कि संयंत्र विस्तार कार्य जारी होने से स्थानीय बेरोजकारों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार की प्राप्ति होगी और उनका तथा उनके परिवार का जीवन स्तर बेहतर हो सकेगा। जयसिंह ने आगे और स्पष्ट किया है कि उनकी समझाईश का सम्मान करते हुए स्थानीय आम नागरिकों ने शांतिपूर्वक जन सुनवाई सम्पन्न कराने में सहयोग प्रदान किया था और जन सुनवाई के दौरान संयंत्र विस्तार कार्य को व्यापक समर्थन प्रदान किया था, लेकिन प्रबंधन वादा खिलाफी कर रहा है, जिसे बर्दाश्त नही किया जाएगा।
मंत्री श्री अग्रवाल ने पत्र में आगे खेद प्रकट करते हुए लिखा है कि वर्तमान परिस्थितियों में ऐसा प्रतीत होता है कि बालको प्रबंधन जन सुनवाई के दौरान स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने संबंधी अपने वायदे से मुकर गया है और स्थानीय लोगों की उपेक्षा की जा रही है। वास्तव में बालको प्रबंधन की इस तरह की कार्यशैली से स्पष्ट होता है कि दिखावे के लिए जन सुनवाई के दौरान जनाक्रोश को शांत करने के लिए ऐसे लोक लुभावने वायदे तो कर लिए गए थे जबकि वायदे को पूरा करने की मंशा प्रबंधन की लगती नहीं है।
जयसिंह अग्रवाल ने बालको प्रबंधन को चेतावनी देते हुए आगे लिखा है कि परियोजना अथवा अन्य कार्यों के लिए बालको द्वारा नियोजित ठेका कंपनियों में स्थानीय बेरोजगार युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए जिसमें बालको क्षेत्र और आस-पास के लोगों को प्रथम वरीयता और बाद में कोरबा जिला अंतर्गत अन्य क्षेत्रों के नागरिकों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
इस संबंध में अपनाई जाने वाली कार्य योजना के संबंध में बालको प्रबंधन को 15 दिनों के भीतर अवगत कराने की बात कही गई है कि किस प्रकार से और कब तक स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा इस संबंध में प्रबंधन खुलासा करे। प्रबंधन को आगे आगाह किया गया है कि स्थानीय बेरोजगारों की उपेक्षा से लोगों में जनाक्रोश पनप रहा है जिसकी विकरालता एक जन आंदोलन के रूप में कभी भी प्रकट हो सकती है। यदि ऐसी कोई स्थिति निर्मित होती है तो वह एक बड़े आन्दोलन का रूप ले सकती है जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी बालको प्रबंधन की होगी और और अंततः इसका खामियाजा भी बालको प्रबंधन को ही भुगतना पड़ सकता है।
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