‘आप कैसी हैं, घबराईए नहीं हम आपके साथ हैं’ शब्दों ने दिया नया जीवन

फोन कॉल और लगातार संवाद से दूर हुई मानसिक समस्या, अब जी रहे सामान्य जीवन


बलौदाबाजार, 9 अक्टूबर । संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को बेहतर रखना आवश्यक है। अवसाद , तनाव और चिंतातुर व्यक्ति को प्यार और स्नेह से भरे शब्द और सकारात्मक व्यवहार उसके जीवन में नई रोशनी का संचार करते हैं। ऐसी सी अवस्था से गुजर रही बलौदाबाजार की राखी साहू (परिवर्तित नाम) और पूनम राव ( परिवर्तित नाम) को भी प्यार और अपनत्व से भरे चंद शब्दों “आप कैसी हैं? , घबराईए नहीं हम आपके साथ हैं” ने उनके जीवन में सकारात्मकता का संचार किया है। इतना ही नहीं लगातार संवाद करने से उनकी मानसिक समस्याएं खत्म हो रही हैं और राखी और पूनम सामान्य जीवन जी रही हैं।


हालांकि इन दोनों की मानसिक समस्याओं का इलाज जारी है। बावजूद इसके इन चंद शब्दों ने अवसादग्रस्त, पूरी तरह से टूट चुकी इन दोनों महिलाओं में जीवन जीने की आशा जगाई है। अब सामान्य जीवन जीते हुए यह अपने घर और आसपास के मानसिक समस्याओं से ग्रस्त लोगों को साकारात्मक रहते हुए जीवन जीने को प्रेरित कर रही हैं। इन्ही के जैसे कई मरीज जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिए इलाज, परामर्श और दवाओं के जरिए तनाव, अवसाद और अपनी मानसिक समस्याओं से छुटकारा पा रहे हैं। इसलिए ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 10 अक्टूबर को “विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस” मनाया जाता है।


आर्थिक तंगी और कोविड से हुईं मानसिक समस्या –


1.पूनम राव (परिवर्तित नाम) बताती हैं: “मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से आए दिन मेरे घर में लड़ाई-झगड़ा होता था। एक दिन इन सब से तंग आकर मैंने शराब और नशीली दवाएं लेकर अपने जीवन को खत्म करने की कोशिश की। हालत बिगड़ने पर परिजन मुझे अस्पताल लेकर आए। यहां कुछ दिनों तक मेरा इलाज चला। फिर मनोचिकित्सकों ने यहां मुझसे बात की, बड़े ही प्यार और अपनेपन से उन्होंने मेरी परेशानियां जानने की कोशिश की तथा रोजाना मेरा हाल पूछते थे। उनके इस व्यवहार और समझाईश से मेरी परेशानियां दूर हो गईं, मुझमें जीवन जीने की ललक जाग गई। अब मैं भी छोटा सा व्यवसाय कर परिवार की आर्थिक सहायता करती हूं।“

इसी तरह 45 वर्षीय राखी साहू( परिवर्तित नाम) ने बताया; “कोरोना महामारी 2021 ने मुझे तोड़कर रख दिया था। मैं अपनी बेटी के साथ रहती हूं । पति और मेरा बेटा बाहर नौकरी करने गए थे। रोज आस-पास एवं हर तरफ कोविड से हो रही मौत के बारे में देखती सुनती थी। इससे मेरे मन में डर, घबराहट, बेचैनी होने लगी। नींद नहीं आती थी, ना ही खाना खाया जाता था।
हर समय मन उदास रहता था। पति और बेटे की खबर भी नहीं मिलती थी। मैं कोरोना पॉजिटिव हो गई, जिसके बाद किसी का मेरे घर आना-जाना भी नहीं होता था। तब आत्महत्या करने का विचार मेरे मन में आया। फिर एक दिन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने मुझे कॉल कर कहा “आप कैसी हैं? ….” इन शब्दों को सुनकर मैं रो पड़ी क्योंकि कोई मेरा हाल-चाल ही नहीं पूछता
था। इस तरह लगातार कॉल कर मेरी परेशानी पूछी जाती थी। हम साथ हैं इसका भरोसा दिलाया जाता था। इससे मैं धीरे-धीरे ठीक होने लगी और आत्महत्या का विचार भी मैंने त्याग दिया। अब भी मैं कभी-कभी मानसिक रोग विशेषज्ञ को कॉल कर सलाह ले लेती हूं।“


जागरूकता से ही मानसिक समस्याओं पर नियंत्रण कर सकते हैं- सीएमएचओ डॉ. एम.पी. माहेश्वर ने बताया: “जागरूकता के अभाव में अधिकतर लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को अनदेखा कर देते हैं। यदि सही समय पर मानसिक समस्याओं का उपचार न किया जाए तो शारिरीक स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है।“ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस) द्वारा प्रशिक्षित मनोचिकित्सक डॉ. राकेश कुमार प्रेमी ने बताया: “ वर्तमान समय में लोगों को मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, यह वैश्विक स्तर पर बढ़ती गंभीर समस्याओं में से एक है। यदि दिनचर्या में कुछ बदलाव कर लें तो मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के साथ-साथ इसके कारण होने वाली कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं के जोखिम को भी हम कम कर सकते हैं।“

चिकित्सा मनोवैज्ञानिक मोहिन्दर धृतलहरे ने बताया:” मानसिक समस्याओं से ग्रस्त मरीजों के बारे में जानकारी लेने में काफी परेशानी होती है क्योंकि परिवार या मरीज को लेकर आए लोग जो बताते हैं कई बार वह समस्या नहीं होती है। मरीज से बात करने पर ही उनकी समस्या की वजह पता चलती है। इस कार्य में समय लगता है। इसलिए मरीज को सकारात्मक रूप से
बातचीत करके उनके बारे में जानते हैं और उनकी मुख्य समस्याओं की पड़ताल करते हैं। इन दोनों महिलाओं की समस्याओं का समाधान भी हमने उनसे लगातार बातचीत कर उनके बारे में जाना इसके बाद उनका उपचार किया। स्पर्श क्लिनिक के माध्यम से मानसिक समस्याओं का निदान किया जा रहा है। ऐसे मरीजों को साइकोएजुकेटर काउंसिलिंग, मेडिसीन साइकोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप के माध्यम से और उनके परिजनों की काउंसिलिंग भी की जाती है। जिससे उनके व्यवहार में परिवर्तन आता है और मरीज सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित होते हैं।“


इनपर दें ध्यान – अच्छी और पर्याप्त नींद ले, मोबाइल-टीवी, लैपटॉप या अन्य किसी भी प्रकार के स्क्रीन पर अधिक समय नहीं बिताएं, नियमित योग और व्यायाम करें, मधुर संगीत सुनें, मनचाहा कार्य या रूचीकर कार्य करें, किताब पढ़ें, नशा का सेवन नहीं करें तथा खान-पान सुधारें, पौष्टिक आहार लें, हरी पत्तेदार सब्जियां और फल खाएं तथा पानी खूब पीएं।हमेशा स्वयं और दूसरों के प्रति सकारात्मक विचार रखे, आभार और धन्यवाद व्यक्त करें, हमेशा खुश रहने की कोशिश करें, नकारात्मकता से दूर रहें, किसी प्रकार की मानसिक समस्याएं आने पर 6267288242 नंबर पर कॉल करें।

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