0.पांच किमी लम्बे सांस्कृतिक मार्च के साथ जसम के सम्मेलन का आग़ाज़
रायपुर, 9 अक्टूबर। फासीवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध, आजादी और लोकतंत्र की संस्कृति के लिए एकजुटता का आह्वान करते हुए आज छत्तीसगढ़, रायपुर के पंजाब केसरी भवन में जसम का राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन स्थल, परिसर, सभागार और मंच को मुक्तिबोध, कॉमरेड बृजबिहारी पांडे, रामनिहाल गुंजन, मंगलेश डबराल व हबीब तनवीर को समर्पित किया गया था।सम्मेलन में शिरकत करने देश के विभिन्न राज्यों, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, बंगाल, दिल्ली, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश आदि से लेखक, कलाकार, नाटककार, संस्कृतिकर्मी व सामाजिक कार्यकर्ता आए हुए हैं।
सम्मेलन की शुरुआत एक प्रतिरोध मार्च से हुई। मार्च आशीर्वाद भवन से चलकर डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए शहीद ए आज़म भगत सिंह की मूर्ति तक पहुँचा। जन संस्कृति मंच के अध्यक्ष प्रो राजेंद्र कुमार ने एक संक्षिप्त वक्तव्य में मौजूदा निज़ाम के ख़िलाफ़ सम्विधान की हिफ़ाज़त और लोकतंत्र की लड़ाई के लिए एकजुटता का आह्वान किया।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का आरंभ सम्मेलन स्वागत समिति के संयोजक राजकुमार सोनी ने किया। मुक्तिबोध व हबीब तनवीर आदि रचनाकारों और शंकर गुहा नियोगी आदि शहीदों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि फ़ासीवादी ताक़तें इस देश की अवाम को तबाह कर रही हैं, उनके संसाधन लूट रही हैं और कारपोरेट के कंधों पर चढ़कर जनता पर दमन ढ़ा रही हैं। भाजपा-संघ के फ़ासीवादी निज़ाम से लड़ने की रणनीति खोजने को फ़ौरी जरूरत बताते हुए उन्होंने अतिथियों व भागीदारों का स्वागत किया।
इस सत्र के मुख्य अतिथि जाने-पहचाने गाँधीवादी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार थे। विशिष्ट अतिथि भँवर मेघवंशी ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस फ़ासीवादी निज़ाम को सिर्फ राजनीति के मोर्चे पर ही नहीं संस्कृति के मोर्चे पर भी शिकस्त देनी होगी। फ़ासीवाद को परास्त करने के लिए उन्होंने छोटी-छोटी प्रतिरोध लड़ाइयों का व्यापक साझा मोर्चा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का मुक़ाबला बंधुत्व से करने की जरूरत है।
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