शारदीय नवरात्रि 4 अक्टूबर से समाप्त हो चुके हैं। 5 अक्टूबर को दशहरा या विजयादशमी का त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था। इस त्योहार को अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक मानते हैं। विजयादशमी पर रावण दहन के बाद शमी के पेड़ की पूजा का खास महत्व है। जानें दशहरे के दिन क्यों की जाती है शमी के पेड़ की पूजा-
दशहरा का विजय मुहूर्त-
रावण दहन का विजय मुहूर्त – 02:07 पी एम से 02:54 पी एम तक है। जिसकी अवधि – 00 घण्टे 47 मिनट्स की है। अपराह्न पूजा का समय – 01:20 पी एम से 03:41 पी एम तक है। इसकी अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट्स की है।
शमी वृक्ष की पूजा का महत्व-
विजयादशमी या दशहरा पर शस्त्र पूजन के साथ शमी वृक्ष के पूजन का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पहले मां दुर्गा व शमी वृक्ष की पूजा की थी। इसके परिणाम स्वरूप उन्हें विजय प्राप्त हुई। तब से दशहरा पर शमी के वृक्ष की पूजा का विधान चला आ रहा है।
रावण दहन के बाद शमी के पत्ते बांटने का लाभ-
विजयादशमी पर शमी के पेड़ की पूजा और रावण दहन के बाद इसकी पत्तियां परिवार और प्रियजनों में बांटने की प्रथा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शमी की पत्तियां सोने के समान मानी गई हैं।
दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पूजा करने से आरोग्य व धन लाभ के योग बनते हैं।
विजयादशमी के दिन शमी के वृक्ष की पत्तियां सुख, समृद्धि और विजय का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
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