एक गांव ऐसा जहाँ पानी मे होता है रामलीला

हमीरपुर, 03 अक्टूबर , सैकड़ों साल पुरानी परम्परा की अनूठी रामलीला व श्रीकृष्ण लीला इस बार शरद पूर्णिमा की शाम से शुरू होगी। लीला को देखने के लिए आसपास के तमाम ग्रामों से भारी भीड़ जुटेगी। खास बात तो यह है कि इस रामलीला में गांव के ही लोग अभिनव करते हैं। हमीरपुर जिले के सरीला क्षेत्र के पवई गांव में सैकड़ों सालों से पानी में रामलीला कराए जाने की परम्परा आज भी कायम है। गांव की महिलाएं और पुरुष ही रामलीला और श्रीकृष्ण का मंचन करते है। शरद पूर्णिमा की शाम गांव के प्राचीन तालाब में जलविहार महोत्सव की धूम मचेगी।

गांव की सरपंच अनीता कुमारी ने बताया कि तालाब के पानी में सजीव लीला के मंचन से पहले शंकर जी की बारात की शोभायात्रा धूम-धड़ाके के साथ निकाली जाएगी। शोभायात्रा पूरे गांव की गलियों से घूमते हुए प्राचीन तालाब के पास पहुंचेगी जहां इसका समापन होगा। बताया कि शरद पूर्णिमा की शाम पानी में सजीव श्रीकृण लीला होगी वहीं दिन में रामलीला का मंचन होगा। पूर्व सरपंच के प्रतिनिधि एवं समाजसेवी रामगोपाल ने बताया कि पानी में सिर्फ इसी गांव में कराए जाने की परम्परा है जो बुन्देलखंड और पड़ोसी राज्य के तमाम इलाकों में विख्यात है। इसके लिए तमाम बड़ी नावों की व्यवस्था की गई है। बताते हैं कि सैकड़ों साल पुरानी परम्परा की लीला का आगाज आसमान में गुब्बारा उड़ाकर किया जाएगा। गुब्बारे में कुछ हजार रुपये का इनामी कूपन रखा जाएगा। तीस किमी के दायरे में गुब्बारा पानी वाले व्यक्ति को लीला के समापन के अगले दिन इनाम देकर सम्मानित किया जाएगा। उसे आने जाने का किराया भी मिलेगा।

तालाब के पानी में ही कंस और बकासुर का होगा वध

रामगोपाल ने बताया कि पानी से लबालब बड़े प्राचीन तालाब में सजीव लीला के दौरान कंस, बकासुर व पूतना जैस राक्षसों के वध किया जाएगा। यह लीला अपने आप में अद्भुत है जिसे देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ तालाब के किनारे एकत्र होगी। बताया कि गांव की महिलाएं और पुरुष ही लीला में अभिनव करेंगे। इसके अलावा टेशू, झिझिया और सुआटा की लीलाएं भी पानी में होगी। इस लीला में सुआटा राक्षस को मार कर टेशू झिझिया से शादी करेगा।

पानी में लीला करने को गांव के ही पुरुष करेंगे अभिनव

सैकड़ों साल पुरानी परम्परा की लीला सम्पन्न कराने वाले समिति के सदस्य एवं समाजसेवी रामगोपाल ने आज यहां बताया कि गांव के मंगल सिंह पानी की लीला करने के लिए कंस बनेंगे, जबकि खेमचन्द्र राजपूत कालिया नाग, शिवप्रसाद पूतना व अमरचन्द्र राजपूत बकासुर का अभिनव करेंगे। इसके अलावा इन्द्रेश सिंह श्रीकृष्ण व सूरज प्रसाद शंकर जी का अभिनव करेंगे। बताया कि ये सभी पानी में सजीव लीला का मंचन करने के लिए तैयारियों में अब जुट गए हैं।