बेमेतरा ,28सितम्बर। रेबिज एक विषाणु जनित बीमारी है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है। मनुष्यों में यह रेबिज पीडि़त जानवर मुख्यत: कुत्ते, बिल्ली, नेवले, बंदर, भालू के काटने या खरोंच से फैलता है।
रेबिज संक्रमित व्यक्ति में लक्षण :
घाव के स्थान पर दर्द या खुजली होना, तेज बुखार, दो चार दिन के लिए स्थाई सिरदर्द होना, पानी से भय होना (हाईड्रोफोबिया) तेज प्रकाश अथवा शोर/ध्वनि बरदाश्त करने में असमर्थ होना, मतिभ्रम होना, व्यवहार में परिवर्तन होना, बेहोशी आना हो सकते है। प्रतिवर्ष 28 सितम्बर को रेबिज रोकथाम के लिए सभी को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व रेबिज दिवस मनाया जाता है, साथ ही इस दिन महान वैज्ञानिक लुई पाश्चर की पुण्य तिथि होती है, जिन्होंने रेविज के प्रथम टीके का अविष्कार किया था। रेविज बीमारी को समय रहते टीकाकरण से रोका जा सकता है पर एक बार रेविज विमारी होने पर मृत्यु निश्चित है।
बचाव के लिए क्या करें :
घाव को बहते पानी के नीचे साबुन से 10 से 15 मिनट तक घोए, कीटाणुनाशक या एंटी सेप्टिक जैसे टिंचर आयोडिन पोविडिन आयोडिन/डेटाल लगाये, कुत्ता, बिल्ली व अन्य पालतु जानवरों को पशु चिकित्सालय में रेबिज का टीकाकरण करायें, चिकित्सक के निर्देशानुसार एन्टी रेविज टीकाकरण नियमित रूप से करायें।
बचाव के लिए क्या ना करें :
कुत्ता/जानवर काटने पर घाव को ना ढकें, खुले हाथों से घाव को न छुएं, मिट्टी, मिर्ची, तेल, चॉक, हल्दी, जड़ी-बुटी इत्यादि ना लगाये, घाव को ना जलाएं, अंधविश्वास या पौराणिक कहावतों पर भरोसा ना करें।
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