आज से नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्र के नौ दिनों में सभी शक्तिपीठों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्र में शक्तिपीठ के दर्शन पूजा का विशेष महत्व है। दुनिया में कुल 51 शक्तिपीठ है भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत और श्रीलंका में भी शक्तिपीठ स्थित है।
क्या आपको पता है ये शक्तिपीठ कैसे बने ? आज हम आपको इन शक्तिपीठ के स्थापना से जुड़ी कहानी बताएंगे
शिव पुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष ने एक बार अपने घर यज्ञ किया। यज्ञ में दक्ष ने अपनी एक पुत्री को भेजकर देवी सती को यज्ञ में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन उनके पति भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। शिव ने सती को यज्ञ में न जाने का आग्रह किया लेकिन देवी सती ने शिव के आग्रह को न मानते हुए अपने पिता दक्ष के घर चली गई। जहां सती के पिता प्रजापति दक्ष ने भगवान शिव को अपमानित किया। पति का उस तरह भरी सभा में अपमान होता देख माता सती को बेहद आत्मग्लानि हुई और माता ने उसी यज्ञ की अग्नि में अपने प्राणों की आहुति दे दीं।
शिव को जैसे ही इस घटना का आभास हुआ वह फौरन दक्ष के घर पहुंचे और यज्ञ को पूरी तरह ध्वस्त कर, देवी सती का शरीर हाथों में लिए शोक में इधर -उधर भटकने लगें। देवी सती के शरीर का अंश जगह -जगह गिरा जो आगे चल कर शक्तिपीठ कहलाया।भारत में सबसे ज्यादा 10 शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में स्थित है। इसके बाद उत्तर भारत में 7 शक्तिपीठ मौजूद है। पश्चिम भारत में 5, पूर्वोत्तर भारत में 5, दक्षिण भारत में 5 और मध्य प्रदेश में 2 शक्तिपीठ मौजूद है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में मौजूद है शक्तिपीठ
कुछ शक्तिपीठ भारत के पड़ोसी मुल्क में भी है। बांग्लादेश में सबसे अधिक 4 शक्तिपीठ है। ऐसी मान्यता है कि पाकिस्तान के हिंगलाज मंदिर में माता सती का सिर कट कर गिरा था। पाकिस्तान का हिंगलाज मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसके अलावा बांग्लादेश में सुगंधा देवी शक्तिपीठ, चट्टल भवानी, यशोरश्वेरी ,करतोयाघाट शक्तिपीठ मौजूद है। इसके अलावा नेपाल में दो – मुक्तिधाम मंदिर, गुह्येश्वरी शक्तिपीठ है। वहीं श्रीलंका में- इंद्राक्षी शक्तिपीठ और तिब्बत में मानस शक्तिपीठ मौजूद है।
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