कोरबा।,23सितम्बर (वेदांत समाचार )|सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने जारी एक बयान में बताया कि कोरोना काल के बाद कोरबा जिले में खाद्य अधिकारी तथा संबंधित एजेंसियों की कुंभकरण की नींद के चलते प्रतिमाह पीडीएस चावल की हेराफेरी से करोड़ों रुपए प्रतिमाह अस्थाई आमदनी का जरिया हो गया है पीडीएस चावल हेरा फेरी की उच्च स्तरीय जांच आवश्यक हो गया है ताकि जिले मैं कुछ अधिकारी तथा बिचौलियों के लिए अस्थाई कमाई का जरिया पीडीएस चावल बना हुआ है जिसका पर्दाफाश आवश्यक हो गया है।
सिन्हा ने आगे बताया कि कोरबा जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में पीडीएस संचालकों द्वारा 70% चावल पीडीएस स्टॉकिस्ट के माध्यम से काले बाजार में भेज दिए जा रहे हैं इसके अतिरिक्त किराना दुकान व चावल दुकानों में भी धड़ल्ले से खरीद बिक्री हो रही है शहरों के सप्ताहिकी बाजारों में भी 16 से ₹18 प्रति किलो के हिसाब से पीडीएस चावल की प्रतिदिन सैकड़ों रिटर्न खरीद बिक्री हो रही है अधिकारियों की कुंभकरण की नींद के कारण पीडीएस चावल की अवैध कारोबार अस्थाई रूप ले लिया है।
सिन्हा ने आगे बताया कि खाद्य विभाग के अधिकारी एसडीएम तथा पुलिस द्वारा निरंतर निगरानी नहीं रखने के चलते पीडीएस चावल की लगातार हेराफेरी हो रही है आम नागरिकों में से इक्के दुक्के ही नागरिक हिम्मत जुटाकर संबंधित अधिकारियों तथा पुलिस को सूचित करते हैं
तभी संबंधित अधिकारी चावल जप्त कर करवाई करते हैं फिर बाद में कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती इस तरह से कुंभकरन की निंद्रा में खाद्य विभाग एवं संबंधित अधिकारी डूबे हुए हैं अगर वह पीडीएस चावल की अवैध कारोबार पर रोक लगाने के इच्छुक होते तो लगातार निगरानी करते रहते और प्रतिदिन स्क्रोटम चावल जप्त व बरामद होती या अफरा तफरी करने वाले जेल जाते तो यह कारोबार पर रोक लग सकती थी लेकिन ऐसा संभव नहीं है क्योंकि सप्ताहिकी बाजार बुधवारी में भी पीडीएस चावल की अवैध कारोबार प्रतिदिन चल रहा है जबकि सप्ताहिकी बाजार बुधवारी केवल सब्जी वाले ही प्रतिदिन सब्जी का व्यवसाय कर सकते हैं अन्य व्यापारी चावल, किराना,मसाला,बर्तन आदि की दुकानें नहीं लगा सकते लेकिन अवैध कारोबार करने के लिए बुधवारी सप्ताहिकी बाजार में प्रतिदिन सब्जी के अतिरिक्त अन्य दुकानें लग रही है जहां अवैध कारोबार हो रहा है निगम खाद्य विभाग तथा पुलिस द्वारा नियम विरुद्ध सप्ताहिकी बाजार में सब्जी विक्रेताओं के अतिरिक्त अन्य दुकानों पर करवाई क्यों नहीं करते भ्रष्टाचार का उदाहरण है।
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