कुबूल है मुझे जिन्दगी का हर तोहफा…… मैंने ख्वाहिशोँ का नाम बताना छोड़ दिया……

शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार ) 

      

राहुल की पदयात्रा का ज़िक्र आते ही महात्मा गांधी, विनोबा भावे, चंद्रशेखर की पदयात्रा की याद ख़ुद-ब-ख़ुद चली आती है.वैसे तो 20वीं और 21वीं सदी के पहले से भी पदयात्राओं का इतिहास रहा है… शंकराचार्य से पहले गौतम बुद्ध, गुरु नानक और महात्मा गांधी ने इस तरह की पदयात्रा की थी।आज़ाद भारत में इस तरह की यात्रा आचार्य विनोबा भावे (1951), पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (1983), वाईएसआर (2003) चंद्रबाबू नायडू (2013) दिग्विजय सिंह की (2017) नर्मदा यात्रा शामिल है. कुछ इतिहासकार इसमें बाबा आमटे की यात्रा को भी जोड़ते हैं।इन पदयात्राओं को इतिहासकार अलग अलग खांचे में बांटते हैं. गौतम बुद्ध, गुरु नानक, विनोबा भावे की यात्राओं को महात्मा गांधी, पूर्व पीएम चंद्रशेखर, वाईएसआर, चंद्रबाबू नायडू, दिग्विजय सिंह की राजनीतिक पदयात्राओं से अलग करार देते हैं….एक आधार ये दिया जाता है कि राजनीति से जुड़ा शख़्स अगर ऐसी यात्रा निकालता है तो वो पदयात्रा राजनीतिक ही है।इस लिहाज़ से राहुल गांधी की पदयात्रा भी राजनीतिक ही है….!ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि क्या राहुल इस तरह की यात्रा के साथ ख़ुद को गांधी, चंद्रशेखर, विनोबा भावे की लीग में खड़े करना चाहते हैं…? बाक़ी दूसरी राजनीतिक पदयात्राएं हाल की हैँ।भारत जोड़ो की ज़रूरत क्यों….?इस पदयात्रा की ज़रूरत पर कांग्रेसी कहते हैँ कि यह यात्रा “भारत में आर्थिक असमानता महंगाई, बेरोज़गारी, जीएसटी की वजह से है…सामाजिक ध्रुवीकरण जाति,धर्म,भाषा,खाना, पहनावा के नाम पर हो रही है” राजनीतिक तनाव के लिए राज्यों और केंद्र के बीच बढ़ती खाई ज़िम्मेदार है जो केंद्रीय जाँच एजेंसियों के ग़लत इस्तेमाल से और बढ़ती जा रही है.”हालांकि कांग्रेस की पदयात्रा के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं….

कांग्रेस ने यह यात्रा तब निकाली है जब केवल दो राज्यों में उनकी सरकार और दो राज्यों में गठबंधन सरकार बची है।एक सच्चाई ये भी है कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन?इस बारे में फिलहाल सुगबुगाहट तेज़ है।जिस सितंबर माह में इस पदयात्रा की शुरुआत हुई है,वही महीना अध्यक्ष पद के चुनाव के कार्यक्रम तय करने के लिए पहले मुकर्रर किया गया था.इसके अलावा 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में पीएम मोदी के सामने विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा… इसके बारे में विपक्षी नेताओं की तरफ़ से रोज़ नए नाम उछाले जा रहे हैं।साथ ही विपक्ष की एकता में बिखराव की खबरें भी अलग अलग तरीक़े से हर हफ़्ते सामने आती ही रहती है।इस वजह से राहुल गांधी की इस पदयात्रा को लेकर विपक्ष और सत्तापक्ष की नज़रें भी टिकीं हैँ ही…. कांग्रेस को भी इस बात का अहसास है।शायद इस वजह से कांग्रेस इस यात्रा में अपनी पार्टी का झंडा नहीं बल्कि तिरंगा लेकर चल रही है। यात्रा की शुरुवात में छग के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने राहुल को तिरंगा सौंपा तथा पदयात्रा में भी शामिल हुए।बहरहाल यात्रा को अच्छा समर्थन मिल रहा है…..

प्रिंस चार्ल्स’ और पद्मिनी कोल्हापुरे का ‘किस’    

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का निधन हो गया है. उनके निधन के बाद महारानी एलिजाबेथ के बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स महाराजा बन गए हैं। दरअसल ब्रिटिश राजघराने के नियमों के तहत महारानी की मृत्यु के तुरंत बाद उनके बड़े बेटे या बेटी को राजा या रानी बनाया जाता है। अपनी पूरी जिंदगी में ब्रिटैन के नए राजा चार्ल्स लगभग दस बार भारत आ चुके हैं… लेकिन उनका पहला भारत दौरा उनके लिए और तमाम बॉलीवुड के फैंस के लिए काफी यादगार साबित हुआ।33 साल की उम्र में वे पहली बार भारत आए थे। उस दौरान उनकी डायना से शादी भी नहीं हुई थी…. दुनिया के लिए वो बैचलर थे।1980 में ब्रिटेन के ‘मोस्ट एलिजिबल बैचलर’ प्रिंस चार्ल्स भारत आए थे. इस दौरान उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग देखने की इच्छा जाहिर की…. उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उन्होंने मुंबई के एक फिल्म स्टूडियो में ले जाया गया, इस स्टूडियो में मशहूर बॉलीवुड एक्ट्रेस पद्मिनी कोल्हापुरे फ़िल्म शूट कर रही थी…

अपनी फिल्म ‘आहिस्ता आहिस्ता’ की शूटिंग में व्यस्त थी, खैर प्रिंस का भारतीय ट्रेडिशनल तरीके से स्वागत किया गया। दिया थाली में रखकर उनकी आरती उतारी गई, उनके गले में फूलों का हार पहनाया गया…. अपने स्वागत का स्वीकार करते हुए प्रिंस चार्ल्स स्टूडियो में शूट करने वाले सभी कलाकारों से भी मिले, स्टूडियो में मौजूद कलाकारों से हाथ मिलाते हुए जैसे ही प्रिंस चार्ल्स पद्मिनी कोल्हापुरे के पास आए, तो उन्होंने तुरंत प्रिंस चार्ल्स को गले से लगा लिया और उनके गालों पर ‘किस’ भी कर दिया…. हमेशा प्रोटोकॉल के तहत काम करने वाले ब्रिटेन के युवराज को इस तरह से किस करना कोई साधारण बात नहीं थी. यही वजह है कि पद्मिनी के इस “किस”की चर्चा भारत से लेकर लंदन तक हर जगह हुई…..

छ्ग भाजपा में बदलाव के मायने…..      

छ्ग में पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, फिर नेता प्रतिपक्ष को हटाया गया फिर प्रदेश प्रभारी पूरेँदेश्वरी को हटाया गया…..वैसे पहले कांग्रेस में रहने तथा अर्जुन सिंह के समय राज्य मंत्री रहीं और डॉ मनमोहन सिंह मंत्रिमण्डल में राज्यमंत्री रहीं उनके केबिनेट मंत्री अर्जुनसिंह थे, छ्ग में सीएम भूपेश बघेल भी अर्जुनसिंह के राजनीतिक चेले दिग्विजय और अजीत जोगी मंत्रिमंडल के सदस्य ऱह चुके हैं वहीं अर्जुन मंत्रिमंडल में वर्तमान राज्यपाल अनसुईया उइके भी राज्य मंत्री ऱह चुकी हैं खैर पुरँदेश्वरी को हटाने और ओम माथुर को बनाने के पीछे भाजपा आलाकमान की क्या सोच है

इसका खुलासा बाद में ही होगा…. पर रायपुर में मंच पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ बैठी थीं और छग से प्रभार हटाने की खबर आई….? विश्व आदिवासी दिवस के दिन छ्ग भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विष्णु देव साय को हटाया गया….? वैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार आए छ्ग बीजेपी संगठन की बैठक के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सख्ती की भी चर्चा है…. बताते हैं कि नड्डा ने दो टूक कहा कि पिछले चुनाव में हार की सबसे बड़ी वजह कार्यकर्ताओं की नाराजगी थी. कार्यकर्ता नाराज थे, इसलिए पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, लिहाजा अबकी बार कार्यकर्ताओं को लेकर चलना है,सांसद-विधायकों के कामकाज से नड्डा नाखुश नजर आए…?सूत्र बताते हैं कि जेपी नड्डा ने विधायकों से दो टूक कह दिया है कि जो काबिल होगा वहीं रिपीट होगा. उन्होंने संकेत दिया है कि चुनाव में नए चेहरों को मौका मिलेगा…!

बैचैन हैं यात्री….9 माह में 2251यात्री रेल रद्द….

आजाद भारत के बाद की बात कर लें तो मेंटेनस के नाम पर जितनी रेल रद्द की गईं है वह रिकॉर्ड है।अभी तक क्या मरम्मत नहीं होती थी ………? भारतीय रेल ने बीते 9 महीने में रद्द की गई 2251 ट्रेनें…, आरआईटी में हुआ खुलासा हुआ है।पूरे देश में मेंटेनेंस के चलते बीते 5 साल और 9 महीने में 6,531 ट्रेनें रद्द की गईं है।देश में आम आदमी के लिए यात्रा करने का सबसे बड़ा और सबसे कम खर्चीला साधन भारतीय रेल है। हालांकि अब रेल किराया भी बढ़ा दिया है वहीं राजनेताओं को छोड़कर बाकी ( बुजुर्गों सहित)सभी को मिलनेवाली रियायत भी समाप्त कर दी गईं है। इधर यह तथ्य चौंकाने वाला है कि मेंटेनेंस के चलते साल-दर-साल निरस्त होने वाली गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सूचना के अधिकार के जरिए सामने आए तथ्य से पता चलता है कि देश में बीते 5 साल और 9 महीने में मेंटेनेंस के चलते कुल 6,531 रेलगाड़ियों को रद्द किया गया। सबसे ज्यादा गाड़ियां बीते 9 माह में रद्द हुईं। इस अवधि में 2,251 गाड़ियां रद्द हुई।

यदि इसे पूरे साल में बदला जाए, तो यह आंकड़ा लगभग 3,000 के करीब का होगा।मध्य प्रदेश के नीमच जिले के एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ ने रेल मंत्रालय से जानना चाहा था कि बीते 5 साल 9 माह में कुल कितनी यात्री गाड़ियां निरस्त की गईं। मंत्रालय की ओर से दिए गए ब्यौरे में बताया गया है कि इस अवधि में रेल लाइन के उन्नयन, प्लेटफार्म के उन्नयन, इसके अलावा रेल पटरी सहित अन्य मरम्मत कार्य के कारण 6,531 गाड़ियां रद्द की गईं। इनमें पैसेंजर, मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट आदि गाड़ियां शामिल हैं।
रेल मंत्रालय की और से बताया गया है कि मेंटेनेंस के कारण वर्ष 2014 में कुल 101 ट्रेने निरस्त हुई थीं, वहीं वर्ष 2015 में 189, वर्ष 2016 में 294, वर्ष 2017 में 829, वर्ष 2018 में रिकॉर्ड 2,867 एवं वर्ष 2019 में सितंबर तक की अवधि के दौरान कुल 2,251 ट्रेनें निरस्त की गई हैं।रेल मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2014 में मेंटेनेंस के कारण मात्र 101 ट्रेनें निरस्त हुई थीं। वहीं वर्ष 2018 में निरस्त हुई गाड़ियों की संख्या 2867 हो गई और वर्ष 2019 के नौ माह में यह संख्या 2251 हो गई। विगत वर्षो के आंकड़ों से पता चलता है कि मेंटेनेंस के कारण निरस्त होने वाली ट्रेनों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है।

आईएएस तारण के नाम भी रिकार्ड बना…..     

छ्ग के मूल निवासी आईएएस तारणप्रकाश सिन्हा के नाम नये रिकार्ड बनते जा रहे हैं। वे ज़ब राजनांदगांव के कलेक्टर थे तब 2नये जिले मोहला -मानपुर और खैरागढ़ की घोषणा हुई,ज़ब वे जांजगीर के कलेक्टर बने तो सक्ति नया जिला बन गया, सीएम बघेल ने सक्ति नये जिले बनाने के कार्यक्रम में तारण से क़ह ही दिया

कि जहाँ कलेक्टर बनते हो नया जिला बनवा देते हो… अभी तक 5 जिला बनवा चुके हो…..वैसे कौन कहां काम करेगा यह तो सरकार ही तय करती है।खैर तारण सिन्हा सीएम सचिवालय में भी रहे, जनसंपर्क में सह आयुक्त रहे तो मुख्य सचिव के सचिव की भी जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैं।

और अब बस….

0 1987 बैच के छ्ग काडर के आईएएस तथा केंद्र में कॉमर्स सचिव बी वीआर सुब्रमण्यम को इसी माह सेवानिवृत होने के पहले ही 2साल की सेवावृद्धि दे दी गईं है।
0 प्रदेश के चर्चित आईपीएस मुकेश गुप्ता (अभी निलंबित) इसी माह 30 को सेवानिवृत होने वाले हैँ।
0 वरिष्ठ आईएफएस, वन विभाग के मुखिया राकेश चतुर्वेदी भी इसी माह रिटायर हो रहे हैं।इन्हे कहीं एडजेस्ट करने की पूरी संभावना है।