मुंबई,15 सितम्बर इस साल जुलाई महीने में 18 करोड़ रुपये की टैक्स धोखाधड़ी के एक मामले का भंडाफोड़ हुआ था. इस मामले में साबिर शेख नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया था. अब मुंबई की एक अदालत ने इस शख्स को जमानत दे दी है. आरोपी साबिर शेख पर 18 करोड़ रुपये की टैक्स धोखाधड़ी का आरोप है. आरोप है कि उन्होंने गलत तरीके से सात करोड़ रुपये से अधिक राशि के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) की धोखाधड़ी की. उनके अकाउंट में 18 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि पाई गई. सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स (सीजीएसटी) के भिवंडी कमिश्नरेट बसवार इंडस्ट्रीज (Bswar Industries) नाम की एक कंपनी के खिलाफ कथित धोखाधड़ी मामलों की जांच कर रहे थे. इसी कड़ी में उन्होंने शेख को गिरफ्तार किया है. विभाग के रिमांड पेपर्स से पता चलता है कि शेख उनके समक्ष पेश हुआ था, जिस दौरान उसका बयान दर्ज किया गया, जिसमें उसने कहा कि वह बसवार इंडस्ट्रीज या इसके मालिक के बारे में कुछ नहीं जानता. शेख के मुताबिक, मनीष नाम का एक शख्स एक बार उसे बाइक रिपेयरिंग की दुकान और बाद में एक बार में मिला था, जिसने उसे इस बिजनेस के बारे में बताया. मनीष ने कथित तौर पर उसे एक बैंक अकाउंट खुलवाने को कहा, जिसके एवज में उसने शेख को हर महीने 5,000 रुपये देने का आश्वासन दिया. गिरगांव के रहने वाले शेख ने इस ऑफर को स्वीकार कर लिया और बसवार नाम से एक कॉ-ऑपरेटिव बैंक में चालू खाता खुलवा लिया. इसके बाद वादे के मुताबिक मनीष उसे हर महीने 5,000 रुपये देने लगा. मनीष ने शेख से चेकबुक के सभी चेक पर साइन भी करवा लिए.
विभाग ने बताया कि शेख के बयान से यह साफ है कि उसने धोखाधड़ी की मंशा से बसवार के नाम से अपनी इच्छा से यह खाता खुलवाया था. इसी बैंक अकाउंट में लगभग 18 करोड़ रुपये के फर्जी लेनदेन पाए गए. शेख की ओर से पेश वकील सना रईस खान ने कहा कि जब शेख को समन भेजा गया तो उसने उसका पालन किया लेकिन शेख को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया. खान ने तर्क दिया कि सीजीएसटी एक्ट की धारा 73 के तहत आरोपी को नोटिस जारी करना जरूरी है लेकिन शेख को कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि उसे (शेख) जवाब देने का कोई मौका नहीं मिला. इस पूरे अकाउंट के ऑडिट की कोई सुनवाई नहीं हुई, गिरफ्तारी से पहले बकाया सर्विस टैक्स की धनराशि का कोई आकलन नहीं किया गया, जो अनिवार्य होता है.
वहीं, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने यह कहते हुए आरोपी की जमानत याचिका का विरोध किया कि अपराध की प्रकृति बहुत गंभीर है और मौजूदा मामले से बड़ी रकम जुड़ी हुई है. प्रॉसिक्यूटर ने कहा, सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है. भविष्य में आरोपी के फरार हो जाने की भी संभावना है. आर्थिक अपराध होने की वजह से इसे गंभीरता से लेना चाहिए इसलिए आवेदक को जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए. मजिस्ट्रेट एमएस बडे ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील के सभी तर्कों पर विचार करने के बाद मेरी राय में सबूतों से छेड़छाड़ का कोई सवाल ही नहीं बनता. भविष्य में आरोपी के फरार होने का भी कोई सवाल नहीं है इसलिए याचिकाकर्ता जमानत पर रिहा होने का हकदार है. इसके बाद शेख को दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई. अदालत ने उसे बुलाए जाने पर सीजीएसटी विभाग के समक्ष शामिल होने का भी निर्देश दिया. इसके साथ ही उसे अपना पासपोर्ट भी विभाग के पास सरेंडर करने को कहा गया. अदालत ने कहा कि वह बिना पूर्व अनुमति के देश छोड़कर नहीं जा सकता.
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