लघु धान्य फसल लेने किसानों में बढ़ी रूचि, कोदो, कुटकी व रागी का रकबा बढ़कर हुआ दोगुना

कांकेर ,13 सितम्बर कलेक्टर के निर्देशानुसार जिले में कोदो, कुटकी व रागी का रकबा बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। कृषि विभाग की ओर से इसके लिए विशेष कार्ययोजना बनाया जाकर मिलेट मिशन योजना में लघु धान्य की फसल लेने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है,  जिसके सुखद परिणाम सामने आये हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ज्यादा रकबा में कोदो-कुटकी, रागी की फसल ली गई है। पिछले वर्ष खरीफ  सीजन में कोदो 1172 हेक्टेयर, कुटकी 1326 हेक्टेयर व रागी की फसल 2010 हेक्टेयर में ली गई थी। इस प्रकार 4508 हेक्टेयर क्षेत्र में लघु धान्य फसल लिया गया था। इस वर्ष कोदो 2425 हेक्टेयर, कुटकी 3030 हेक्टेयर व रागी की फसल 4010 हेक्टेयर में लिया गया है, जो 9465 हेक्टेयर है। इस प्रकार इस वर्ष खरीफ सीजन में लघु धान्य फसलों का रकबा बढ़कर दोगुना हो चुका है। 

उल्लेखनीय है कि जिले के किसानों को कोदो व रागी के उच्चगुणवत्तायुक्त बीज नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया तथा लघु धान्य फसल लगाने वाले किसानों को राजीव गांधी न्याय योजना में पंजीयन कराया जाकर 9 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जा रहा है। राज्य शासन की ओर से लघु धान्य फसलों कोदो, कुटकी, रागी का भी समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर व वन विभाग की ओर से समर्थन मूल्य में कोदो व कुटकी 30 रुपए प्रति किलो तथा रागी 33 रुपए 77 पैसे प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा है।  

जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर व दुर्गूकोंदल विकासखंड के ग्राम घोटुलमुण्डा में लघु धान्य फसल प्रसंस्करण इकाई की स्थापना पिछले वर्ष की जा चुकी है तथा इस वर्ष निजी क्षेत्र में लघु धान्य फसल प्रसंस्करण इकाई की स्थापना कांकेर विकासखंड के नाथियानवागांव में किया जा रहा है, जहां जिले के किसान अपना उत्पाद लाकर समर्थन मूल्य पर इसकी बिक्री कर पायेंगे। पोषक व औषधीय गुणों से भरपूर कोदो, कुटकी व रागी के उत्पाद की बिक्री अब जिले में सी-मार्ट की ओर से भी की जा रही है। जहां उचित मूल्य पर उपभोक्ता इन उत्पादों को क्रय कर सकते हैं।