नईदिल्ली,13सितम्बर I सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह उस व्यक्ति को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करे, जिसे दिसंबर 1976 में पाकिस्तानी अधिकारियों ने जासूसी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी की वजह से 1980 में उस व्यक्ति ने अपनी नौकरी खो दी थी. सरकार को यह अनुग्रह राशि आदेश आने के 3 हफ्तों के अंदर देनी होगी.
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एसआर भट्ट की पीठ ने कहा कि इस मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर संपूर्ण न्याय तभी होगा जब सरकार को राजस्थान के रहने वाले व्यक्ति को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है.
3 हफ्ते के अंदर केंद्र करे भुगतानः SC
शीर्ष अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि 12 सितंबर से तीन सप्ताह के भीतर 75 वर्षीय याचिकाकर्ता मोहम्मद अंसारी को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाए.
हालांकि अंसारी द्वारा 1972 में एक जासूस के रूप में अपनी सगाई के बारे में किए गए दावों पर फैसला सुनाने से परहेज करते हुए, देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि “अजीब परिस्थितियों” के मद्देनजर केंद्र सरकार को जल्द से जल्द अनुग्रह राशि का भुगतान करना होगा.
पीठ ने यह भी गौर किया कि सरकार ने स्वीकार किया है कि मोहम्मद अंसारी राजस्थान में रेल मेल सेवा विभाग में काम करता था, लेकिन वह अपने विरोधाभास के लिए किसी भी सामग्री को रिकॉर्ड में लाने में सक्षम नहीं है. तर्क है कि 1976 में वहां के अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने से पहले वह दो बार पाकिस्तान की यात्रा कर चुका था.
याचिकाकर्ता के अनुरोध पर बढ़ी अनुग्रह राशि
उस व्यक्ति ने कोर्ट में यह भी दावा किया कि लगातार अनुपस्थिति के कारण उसे अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी. याचिकाकर्ता की ओर से दावा किया गया कि उसे पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और 14 साल जेल की सजा सुनाई गई और इस वजह से वह 1989 में भारत वापस आ सका.
शुरुआत में, पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ से राशि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा कि 75 वर्षीय याचिकाकर्ता ने देश के लिए काम किया है और इस समय वह बीमार है तथा बिस्तर पर है और अपनी बेटी पर निर्भर है.
[metaslider id="347522"]